<p>ऐसा किसी को यकीन नहीं था कि पीसीसी अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू पूर्व सीएम के गढ़ में पहुंचेंगे और उनके पक्ष में नारेबाजी की जाएगी। लेकिन, ऐसा ठियोग में देखने को मिला। सुक्खू के खिलाफ नहीं बल्कि पक्ष में नारेबाजी सुनने को मिली। जबकि, इससे पहले वीरभद्र सिंह के गढ़ में सुक्खू के खिलाफ नारेबाजी का सभी गवाह रहे हैं। ठियोग के कार्यकर्ता सम्मेलन में संगठन की धमक देखने को मिली </p>
<p>वीरभद्र सिंह और सुखविंदर सिंह सुक्खू की राजनीतिक अदावत किस स्तर की है यह सभी जानते हैं। लेकिन, जो माहौल कार्यकर्ता सम्मेलन में देखने को मिला, उससे साफ हो गया कि संगठन की पकड़ वीरभद्र सिंह के गढ़ में भी बन चुकी है।</p>
<p>कार्यक्रम के दौरान कांग्रेस प्रभारी रजनी पाटिल के सामने सुक्खू की छवि अध्यक्ष के रूप में मज़बूत नज़र आती दिखाई दी। पाटिल ने मीडिया से रूबरू होते हुए एक सवाल के जवाब में स्पष्ट कर दिया कि सुक्खू को कोई भी प्रदेश अध्यक्ष पद से नहीं हटा सकता। खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने उन्हें पीसीसी का प्रमुख बनाया है और अगला फैसला उन्हीं की मर्जी से होगा। </p>
<p>हालांकि, ऐसा नहीं कि इस बार भी वीरभद्र सिंह चुप रहे। उन्होंने मंच से और मीडिया से भी रूबरू होते हुए प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ टिप्पणी की और संगठन को कमजोर तरीके से लीड करने के आरोप लगाए। वीरभद्र सिंह ने यह भी बता दिया कि वह किसी भी सूरत में पार्टी के भीतर सक्रिय हिस्सेदारी नहीं छोड़ने वाले हैं। इसका संकेत उन्होंने यह देते हुए कहा कि वह बीजेपी के आडवाणी या जोशी नहीं हैं, जिसे मार्गदर्शक मंडल में भेज दिया जाए।</p>
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