हिमाचल भाजपा संगठन और सरकार के बीच अंदरखाते तनाव किसी से छिपा नही है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग रिश्वत मामले के उजागर होने के बाद ये तक़रार ओर अधिक बढ़ गई है। इसी बीच कांग्रेस के साथ भाजपा विधायकों द्वारा विधानसभा सत्र के मांग के बाद भाजपा की बयानबाजी ने आपसी खींचतान ओर हवा दे दी। दोनों ही मामलों में भाजपा नेता अब कुछ भी कहने से बचते नज़र आ रहे है। भाजपा ने इन दोनों मामलों पर खामोशी की चादर ओढ़ ली है।
दूसरी तरफ़ विपक्ष दोनों मामलों को लेकर भाजपा पर हमलावर है। स्वास्थ्य विभाग रिश्वत मामले, सेनेटाइजर घोटाले पर सरकार पूरी तरह से घिरी हुई है। विपक्ष के वार का सरकार और संगठन के पास पलटवार नही दिख रहा है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर मामले में सिर्फ जांच की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ रहे है। क्योंकि घोटालों में भाजपा के ही नेताओं के शामिल होने की बात सामने आ रही है ऐसे में जबाब देते नही बन रहा।
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष भी मामलों को लेकर चुप्पी साधे हुए है। सरकार संगठन के बीच तालमेल की कमी भी नज़र आ रही है। क्योंकि जिस तरह विधानसभा सत्र बुलाए जाने का एपिसोड हुआ। उसमें भी सरकार एवम संगठन की काफ़ी किरकिरी हो चुकी है। रही सही कसर कोविड 19 जैसे संकट काल में घोटालों ने निकाल दी है। ख़बर तो यहां तक है कि भाजपा संगठन व सरकार के बीच अंदरखाने सब कुछ ठीक नही चल रहा है।
ताज़ा घटनाक्रम मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर की बेदाग़ छवि पर सवाल खड़ा कर रहे थे इसलिए मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य विभाग निदेशक और रोहड़ू निर्माणाधीन पुल गिरने के मामले में कड़ा संज्ञान लेते हुए कार्यवाही की है। लेकिन बदनामी के दाग इतने से धुलेंगे या नही ये आने वाला वक़्त बताएगा। क्या सरकार और संगठन के बीच की तकरार ओर अधिक बढ़ेगी या फ़िर डैमेज कंट्रोल हो जाएगा ।