हिमाचल प्रदेश देवी देवताओं की भूमि है, यहां पर अनेकों मंदिर स्थापित हैं। हर मंदिर की अपनी अपनी मान्यता है। लमलेश्वर मंदिर हमीरपुर जिला में एक ऐसा मंदिर है जिसकी स्थापना 400 वर्ष पूर्व कटोच वंश के राजा ने की थी। लमलेश्वर मंदिर के शिवलिंग की बहुत ही रोचक और अचंभित कर देने वाली मान्यता है।
स्थानीय लोगों की मानें तो लमलेश्वर मंदिर में स्थापित शिवलिंग चार वर्ष में एक बार एक तिल के आकार में बढ़ता है। जिसका आकार बढ़कर 9 फिट हो चुका है। लमलेश्वर मंदिर में हर साल हजारों की संख्या में श्रद्धालु नतमस्तक होने के लिए पहुंचते हैं। लमलेश्वर मंदिर में हर श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
लमलेश्वर मंदिर का इतिहास –
हिमाचल प्रदेश में कटोच वंश के राजाओं का इतिहास महत्वपूर्ण है। कटोच वंश के राजाओं ने अनेकों मंदिरों और ऐतिहासिक कीलों का निर्माण करवाया है। नादौन क्षेत्र में भी लमलेश्वर मंदिर का निर्माण कटोच वंश राजा ने करवाया है। स्थानीय लोगों के अनुसार लमलेश्वर मंदिर 400 वर्ष पुराना है। कटोच वंश के एक राजा को स्वप्न आया था कि ब्यास नदी के किनारे एक शिवलिंग मौजूद है। तब राजा ने अपने सैनिकों को ब्यास नदी के किनारे भेजा। वहां पर सैनिकों ने शिवलिंग को पाया और उस शिवलिंग को उठाकर नादौन में स्थापित किया था। बाद में राजा द्वारा मंदिर का निर्माण करवाया गया। तब से लेकर शिवलिंग का आकार चार वर्ष में एक तिल जितना बढ़ता है। मौजूदा समय में शिवलिंग बढ़कर 9 फिट तक ऊंचा हो चुका है। मान्यता है कि लमलेश्वर मंदिर में लगातार 43 दिन आराधना करने से मनवांछित फल की पूर्ति होती है।
वहीं, लमलेश्वर मंदिर के पुजारी राकेश शर्मा की मानें तो मंदिर में शिवलिंग चार वर्षों में एक बार एक तिल के बराबर बढ़ता है। जो बढ़कर 9 फिट तक पहुंच चुका है। लमलेश्वर मन्दिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालु नतमस्तक होते हैं। वहीं, मंदिर में नतमस्तक होने पहुंचे जतिन और सपना सोनी का कहना है कि लमलेश्वर मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालु नतमस्तक होते हैं । इस मंदिर में जो शिवलिंग है वह चार साल में एक एक तिल के आकार में बढ़ता है। लमलेश्वर मंदिर में जो श्रद्धालु आराधना करते हैं भगवान शिव उनकी हर मनोकामना को पूर्ण करते हैं।