नवरात्र का पहला दिन, जाने ‘मां शैलपुत्री’ की पूजाविधि और महत्व…

<p>नवरात्रि&nbsp; के पहले दिन मां दुर्गा&nbsp; के प्रथम रूप शैलपुत्री का पूजन किया जाता है। मान्&zwj;यता है कि शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की बेटी हैं। नवरात्रि में शैलपुत्री पूजन का विशेष महत्&zwj;व है। मान्&zwj;यता है कि इनके पूजन से मूलाधार चक्र जाग्रत हो जाता है। कहते हैं कि जो भी भक्&zwj;त श्रद्धा भाव से मां की पूजा करता है उसे सुख और सिद्धि की प्राप्&zwj;ति होती है।</p>

<p><span style=”color:#c0392b”><strong>कौन हैं मां शैलपुत्री?</strong></span></p>

<p>पौराणिक कथा के अनुसार मां शैलपुत्री अपने पिछले जन्म में भगवान शिव की अर्धांगिनी (सती) और दक्ष की पुत्री थीं। एक बार जब दक्ष ने महायज्ञ का आयोजन कराया तो इसमें सारे देवताओं को निमंत्रित किया गया, परंतु भगवान शंकर को नहीं बुलाया गया। उधर, सती यज्ञ में जाने के लिए व्याकुल हो रही थीं। शिवजी ने उनसे कहा कि सारे देवताओं को निमंत्रित किया गया है लेकिन उन्हें नहीं; ऐसे में वहां जाना उचित नहीं है। सती का प्रबल आग्रह देखकर भगवान भोलेनाथ ने उन्हें यज्ञ में जाने की अनुमति दे दी।</p>

<p><img src=”/media/gallery/images/image(2115).jpeg” style=”height:343px; width:639px” /></p>

<p>सती जब घर पहुंचीं तो वहां उन्होंने भगवान शिव के प्रति तिरस्कार का भाव देखा। दक्ष ने भी उनके प्रति अपमानजनक शब्द कहे। इससे सती के मन में बहुत पीड़ा हुई। वे अपने पति का अपमान सह न सकीं और यज्ञ की अग्&zwj;नि से स्वयं को जलाकर भस्म कर लिया। इस दारुण दुख से व्यथित होकर शंकर भगवान ने उस यज्ञ को विध्वंस कर दिया। फिर यही सती अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्मीं और शैलपुत्री कहलाईं।</p>

<p><img src=”/media/gallery/images/image(2116).jpeg” style=”height:340px; width:650px” /></p>

<p><span style=”color:#c0392b”><strong>मां शैलपुत्री का रूप</strong></span></p>

<p>मां शैलपुत्री को करुणा और ममता की देवी माना जाता है।&nbsp; शैलपुत्री प्रकृति की भी देवी हैं। उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल है। शैलपुत्री का वाहन वृषभ यानी कि बैल है।</p>

<p><span style=”color:#c0392b”><strong>कैसे करें शैलपुत्री की पूजा</strong></span></p>

<p>- नवरात्रि के पहले दिन स्&zwj;नान करने के बाद स्&zwj;वच्&zwj;छ वस्&zwj;त्र धारण करें।<br />
– पूजा के समय पीले रंग के वस्&zwj;त्र पहनना शुभ माना जाता है।<br />
– शुभ मुहूर्त में कलश स्&zwj;थापना करने के साथ व्रत का संकल्&zwj;प लिया जाता है।<br />
– कलश स्&zwj;थापना के बाद मां शैलपुत्री का ध्&zwj;यान करें।<br />
– मां शैलपुत्री को घी अर्पित करें. मान्&zwj;यता है कि ऐसा करने से आरोग्&zwj;य मिलता है।<br />
– नवरात्रि के पहले दिन शैलपुत्री का ध्&zwj;यान मंत्र पढ़ने के बाद&nbsp; स्तोत्र पाठ और कवच पढ़ना चाहिए।<br />
– शाम के समय मां शैलपुत्री की आरती कर प्रसाद बांटें।<br />
– फिर अपना व्रत खोलें।</p>

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