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सावन में भोलेनाथ को चढ़ाएं ये चीजें, धड़ाधड़ पूरी होती हैं मनोकामनाएं

भगवान शिव और उनके भक्तों के लिए सावन का महिना विशेष महत्व रखता है. मान्यता है कि सच्चे दिल से प्रार्थना करने पर भोलेनाथ तुरंत प्रसन्न होते हैं और हर मनोकामना अपने भक्तों की पूरी कर देते हैं.

डेस्क |

भगवान शिव और उनके भक्तों के लिए सावन का महीना विशेष महत्व रखता है. मान्यता है कि सच्चे दिल से प्रार्थना करने पर भोलेनाथ तुरंत प्रसन्न होते हैं और हर मनोकामना अपने भक्तों की पूरी कर देते हैं. प्रभु शिव के उपासक उन्हें उनके प्रिय चीजों से उनका अभिषेक और पूजा करते हैं. हम आपको बताते हैं कि सावन में भगवान शिव को कौन सी चीजें अर्पित की जाती हैं. जिनसे बाबा की कृपा जल्दी मिलती है.

शास्त्रों के मुताबिक शिव की पूजा में बेलपत्र का विशेष महत्व है. इसलिए पूजा करने के लिए बेलपत्र भी अर्पित करना चाहिए. बिना बेलपत्र के भगवान शिव की पूजा अधूरी मानी जाती है. आपको बता दें कि पूजा के लिए बेलपत्र तीन पत्ते वाला ही लें, क्योंकि तीन पत्ते वाले बेलपत्र त्रिदेव मानी जाती है. कुछ का कहना है कि तीन पत्ते वाले बेलपत्र को शिव भगवान के त्रिशूल के समान भी माना जाता है. बेलपत्र चढ़ाने से भगवान शिव को शांति मिलती है. अगर भगवान शिव को प्रेम से बेलपत्र चढ़ाए जाएं तो भी भगवान शिव प्रसन्न हो जाते हैं और सारी मनोकामनाएं पूर्ण कर देते है.

शिव भगवान को बेलपत्र चढ़ाने का महत्व
बेलपत्र ठंढक प्रदान करती है. यह भी माना जाता है कि सावन महीने में बेल वृक्ष के नीचे शिवलिंग की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और शिव भगवान बहुत प्रसन्न हो जाते हैं. बेल वृक्ष के नीचे दीपक जलाने से ज्ञान की प्राप्ति होती है. वहीं, गरीबों को भोजन खिलाने से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है. भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाने से सभी इच्छाएं पूरी हो जाती है और भगवान शिव की कृपा बरसती है. आपको बता दें कि इसे तोड़ने के बाद जरूर प्रणाम करना चाहिए. शिव भगवान को बेलपत्र अर्पित करते समय मंत्र ‘त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुतम् त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम् का उच्‍चारण करते रहें. इस मंत्र का मतलब होता है क‍ि तीन गुण, तीन नेत्र, त्रिशूल धारण करने वाले और तीन जन्मों के पाप को संहार करने वाले है शिव भगवान आपको हम त्रिदल बेलपत्र अर्पित करते हैं. सावन में शिव जी को चंदन का भोग लगाए, इसके बाद भांग, धतूरा, जल अर्पित करें. भोग में केसर की खीर चढ़ाएं.

बेलपत्र चढ़ाने का सही नियम
भोलेनाथ को हमेशा उल्टा बेलपत्र चढ़ाएं. बेलपत्र को अनामिका, अंगूठे और मध्यम अंगुली की मदद से चढ़ाएं. मध्य वाली पत्ती को पकड़कर भोलेनाथ को अर्पित करें. भोलेनाथ को केवल बेलपत्र ही न चढ़ाएं, बल्कि इसे जल के साथ अर्पित करें. ख्याल रहे कि चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी, अमावस्या, संक्राति, सोमवार के दिन बेल पत्र कभी न तोड़ें. पूजा से एक दिन पहले ही बेलपत्र तोड़ लें. इन सभी नियमों से भगवान शिव की पूजा करें. जिससे आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाएंगी.