<p>हिमाचल को देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है। प्रदेश के लोगों में गहरी देव आस्था है। कुल्लू जिले के लोगों में भी देवी-देवताओं के प्रति गहरी आस्था है।</p>
<p>समुद्रतल से करीब 10,280 फीट पर सरयोलसर में वास करने वाली नागों की मां माता बूढ़ी नागिन पर घाटी के लोगों की गहरी आस्था है। रोजाना सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। माता के मंदिर के कपाट सर्दी के दिनों पांच माह तक बंद रहते हैं। इसके बाद सात महीने तक श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए पहुंचते हैं। मंदिर में पूजा पाठ के साथ देसी घी का चढ़ावा चढ़ाया जता है।</p>
<p>श्रद्धालु मन्नत पूरी होने पर माता बूढ़ी नागिन को घी की धार चढ़ाते हैं। घाटी के रघुपुर, कराड़, जांजा, आनी, बंजार, करसोग, निरमंड, कुल्लू और कुमारसैन आदि के लोगों में माता बूढ़ी नागिन के प्रति गहरी आस्था है। हर साल गर्मी के दिनों में यहां उत्सव जैसा माहौल रहता है। करीब एक किलोमीटर की परिधि में फैली माता की पवित्र झील सरयोलसर के चारों ओर सुख-शांति ओर समृद्धि के लिए घी की फेरी दी जाती है।</p>
<p>मान्यता है कि इस झील के अंदर नागों की माता बूढ़ी नागिन वास करती हैं। जो कोई झील के चारों ओर घी की परिक्रमा करता है तो उन्हें कभी भी दूध-घी की कमी नहीं खलती। घर अन्न-धन से भी भरपूर रहता है।</p>
<p>हर साल नागों की मां बूढ़ी नागिन से मन्नत मांगने सैकड़ों श्रद्धालु कुल्लू घाटी केआनी के साथ लगते जलौड़ी पास (3225मी.) पहुंचते हैं। सर्दियों में यहां आने वाले पर्यटकों को कई किलोमीटर पैदल बर्फीला रास्ता पार करना पड़ता हैं। सर्दियों में जलोड़ी जोत, रघुपूर गढ़ और लामालाबरी सहित ऊंची पहाड़ियों में बर्फ की सफेद चादर दिखाई पड़ती हैं।</p>
<p>सरयोलसर झील के ऊपर तकरीबन तीन फुट तक बर्फ देखी जा सकती हैं। हालांकि बूढ़ी नागिन के मन्दिर के कपाट दिसम्बर माह में बंद हो जाते हैं। लेकिन बर्फ से ढ़की सरयोलसर की वादियां और कई बार शीशे की भांति जमी झील लोगों को आकर्षित करती हैं। यह सरयोलसर झील आनी उपमंडल मुख्यालय से करीब 24 किलोमीटर दूर घने जंगल के बीचों बीच स्थित है। यह स्थल धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में भी उभर रहा हैं।</p>
<p>मुख्यालय की सबसे ऊंची चोटी 10,280 फीट पर जलोड़ी दर्रे से 6 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर पुरातन झील के किनारे मां बूढ़ी नागिन का भव्य मंदिर है। जलोड़ी पास तक कुल्लू और आनी से बस और छोटे वाहनों द्वारा जाया जा सकता है।</p>
<p><img src=”/media/gallery/images/image(3757).jpeg” style=”height:455px; width:824px” /></p>
<p><span style=”color:#c0392b”><strong>एक किमी में फैली झील में तिनका भी नहीं गिरने देती चिड़िया</strong></span></p>
<p>एक किलोमीटर के दायरे में फैली सरयोलसर झील में अगर एक तिनका भी गिरता है तो बाहर बैठी नन्ही चिडि़या आभी उसे झट से उठाकर बाहर फेंक देती है। फिर कुछ गिरने का इंतजार करती रहती है। सुबह-शाम आप जब भी जाओ, झील आपको साफ ही नजर आएगी।</p>
<p>नन्ही आभी के नाम से मशहूर इस चिडि़या ने सदियों से झील का सफाई का जिम्मा संभाला हुआ है। छुई-मुई सी चिडि़या आम लोगों को कम ही नजर आती है। इसे पत्ता उठाते ही देखा जा सकता है। स्थानीय लोगों का दावा है कि आभी चिडि़या केवल सरयोलसर में ही पाई जाती है।</p>
Mandi residents threaten election boycott: नगर निगम मंडी के बैहना वार्ड के लोगों ने नगर…
Deyotsidh vendors food hygiene training: विश्व प्रसिद्ध बाबा बालक नाथ मंदिर दियोटसिद्ध में रोट के…
HP Constable Recruitment 2024 : हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग ने प्रदेश पुलिस विभाग में…
Violence against women awareness campaign: 25 नवंबर को विश्व महिला हिंसा उन्मूलन दिवस के…
RS Bali Refutes BJP’s False Allegations with Solid Data: हाईकोर्ट में राहत मिलने के…
Himachal Non-Board Exam Dates: हिमाचल प्रदेश के विंटर वैकेशन स्कूलों में नॉन बोर्ड कक्षाओं की…