कांगड़ा के गुप्त गंगा के पास अच्छर कुंड लोगों की आस्था का केंद्र है। माना जाता है कि इस अच्छर कुंड में ब्रह्मामुहूर्त में परिया स्नान करती हैं। गुप्त गंगा से होकर निकलने वाला पानी अच्छर कुंड में झरने के रूप में गिरता है। लोग अपनी मुराद पूरी करने के लिए इसी झरने में स्नान करते हैं। जिन लोगों को चरम रोग होता है और प्रेत साय से ग्रस्त होते हैं, ज्यादातर वे लोग यहा पर स्नान कर लाभ पाते हैं। इस झरने में नहाने से सभी मुरादें पूरी होती हैं। लोग यहां पर दूर-दूर से दर्शन करने आते हैं।
जिनकी कोई संतान नहीं है और जो पुत्र के चाहवान हैं, वे भी यहां पर नहाते हैं। जिनकी मुराद पूरी हो जाती है वे लोग यहां पर आकर अपनी आस्था मुताबिक प्रसाद चढ़ाते हैं। मंदिर के पुजारी संदीप शर्मा, अशोक शर्मा व गोल्डी शर्मा ने बताया कि यह मंदिर परियों और नरसिंह का है। इसे अक्षरा कुंड भी कहा जाता है। जिन लोगों की परिया होती हैं, वे नई फसल यहा चढ़ाते हैं। यहां पर भैरो बाबा व हनुमान के मंदिर के साथ ही पीर बाबा शामदार लखदाता का भी मंदिर है।
ये है मान्यता
मान्यता है कि राजा पुरी को स्वर्ग लोग प्राप्त हुआ था, लेकिन उनकी कोई संतान नहीं थी। इस पर भगवान इंद्र ने उन्हें अक्षरा कुंड में स्नान करने को कहा था और धरती पर भेज दिया था। राजा पुरु ने अक्षरा कुंड में स्नान किया था और उसके बाद उन्हें चार पुत्रों की प्राप्ति हुई थी। उन्होंने बताया कि इस दुर्लभ झरने में अकबर भी स्नान कर चुके हैं। यह स्थल हिंदू मुस्लिम एकता का भी प्रतीक है। यहा पर दोनों धर्मो के लोग आते हैं।