सिर्फ 8 साल की उम्र में बैडमिंटन कोर्ट में उतरने वाली नागपुर की मालविका बनसोड ने गुरुवार को इतिहास रच दिया है। उन्होंने इंडियन ओपन में 2012 ओलंपिक कंस्य पदक विजेता और पूर्व नंबर एक की खिलाड़ी साइना नेहवाल को मात्र 34 मिनट में हरा कर टूर्नामेंट से बाहर कर दिया। मालविका ने सायना को महिला एकल के दूसरे दौर में 21-17, 21-9 से हराकर करियर की सबसे बड़ी जीत दर्ज की है।
नागपुर के शिवाजी साइंस कॉलेज से पढ़ाई कर चुकी मालविका के माता-पिता डेंटिस्ट हैं। उनकी मां ने स्पोर्ट्स साइंस में मास्टर की डिग्री सिर्फ इसलिए हासिल की ताकि वे अपनी बेटी के खेल करियर को सही दिशा दे सकें। बचपन से ही मालविका पढ़ाई और स्पोर्ट्स दोनों में ही अव्वल थीं। 10वीं और 12वीं में 90 प्रतिशत से ज्यादा अंक हासिल करने वाली मालविका फिलहाल चेन्नई की SRM यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग कर रही हैं।
मालविका के पिता डॉ. प्रबोध बनसोड नागपुर में एक डेंटल क्लिनिक चलाते हैं और उनके इस काम में उनकी उनकी पत्नी डॉ तृप्ति बनसोड उनकी हेल्प करती हैं। डॉ बनसोड ने दैनिक भास्कर से एक्सक्लूसिव बात करते हुए बताया कि मालविका की सफलता में उनकी मां का अहम योगदान रहा है।
मालविका पिछले तीन साल से रायपुर में कोच संजय मिश्रा के साथ ट्रेनिंग कर रहीं हैं। मालविका को किसी तरह की दिक्कत न हो और उनकी ट्रेनिंग में कोई बाधा न आये इसलिए नागपुर छोड़ डॉ तृप्ति उनके साथ रह रहीं हैं। बेटी की आज की सफलता पर पिता ने कहा कि यह एक स्टेप है और आने वाले समय में अभी मालविका को कई और मुकाम हासिल करने हैं। मालविका फिलहाल रायपुर में ट्रेनिंग कर रहीं हैं।
जब मालविका ने सब जूनियर और जूनियर लेवल के टूर्नामेंटों में हिस्सा लेना शुरू किया तब जाकर परिवार को अंदाजा हुआ कि टूर्नामेंट में हिस्सा लेने के लिए अंतरराष्ट्रीय यात्राओं का खर्च बहुत ज्यादा होने वाला है और स्पॉन्सरशिप तलाश पाना बेहद मुश्किल है। जूनियर लेवल पर स्पोर्ट्स में अच्छा नाम कमाने के बाद नागपुर की विश्वराज इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने मालविका से पांच साल का कॉन्ट्रैक्ट किया है। यह कंपनी मालविका को हर साल 4 लाख रुपए देती है, साथ ही कोचिंग, न्यूट्रिशन और फिटनेस में आने वाला खर्च भी उठाती है।
खेल के साथ पढ़ाई से तालमेल बिठाने के अपने अनुभव के आधार पर मालविका ने कहा कि खेल और पढ़ाई को आपस में जोड़ने के लिए कुछ बातों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। अकादमिक व्यवस्था को महिला खिलाड़ियों की जरूरत के हिसाब से रिस्पांसिव बनाने की जरूरत है, क्योंकि महिला खिलाड़ी भी देश के लिए मेडल जीतने के साथ-साथ अपनी पढ़ाई का नुकसान नहीं चाहती हैं। ऐसा होने से महिलाओं के सामने खेल और पढ़ाई में किसी एक को चुनने की जरूरत नहीं रहेगी। पूरे परिवार ने यह पूरा प्रयास किया कि कभी भी मालविका को खेल के दौरान किसी भी चीज की कमी न हो।
Bareilly GPS Navigation Acciden: बरेली में एक दर्दनाक सड़क हादसे में तीन लोगों की मौत…
NCC Raising Day Blood Donation Camp: एनसीसी एयर विंग और आर्मी विंग ने रविवार को…
Sundernagar Polytechnic Alumni Meet: मंडी जिले के सुंदरनगर स्थित राजकीय बहुतकनीकी संस्थान में रविवार को…
Himachal Cooperative Sector Development: मंडी जिले के तरोट गांव में आयोजित हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी…
NSS Camp Day 6 Highlights.: धर्मशाला के राजकीय छात्र वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला में चल रहे…
Bhota Hospital Land Transfer: हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार राधास्वामी सत्संग व्यास अस्पताल भोटा की…