कसोल कुल्लू से महज 40 किलो-मीटर की दूरी पर बसा हुआ है। कसोल गांव भुंतर-मणिकर्ण के रूट के बीच मे आता है। हिमाचल प्रदेश के ‘कसोल’ गांव ही एक ऐसा गांव है जहां भारतीयों की एंट्री पर बैन है। कसोल गांव एडवेंचर प्रेमियों के लिए बेहद खास है, क्योंकि वे यहां आराम से प्रकृति की गोद मे तारो की छांव का आनन्द ले सकते हैं।
हिमाचल प्रदेश का कसोल कस्बा इसराइली पर्यटकों में इतना लोकप्रिय है कि उसे ‘मिनी इसराइल’ कहा जाता है, लेकिन वहां भारतीय पुरुषों के आने पर कई लोगों को सख़्त आपत्ति है। यहां का नजारा कुछ ऐसा होता है कि आपको लगने लगेगा की ये लोग भारत में नहीं, बल्कि आप इन लोगों के देश में चले आए हैं। यदि कोई भारत का व्यक्ति इस गांव में भूल से आ भी जाता है तो उसको यहां पर कोई कमरा नहीं देता है और अंत में उसको इस गांव से जाना ही होता है।
इसराइली पर्यटकों से अपनी रोजी- रोटी कमाने वाले स्थानीय कारोबारी कहते हैं कि सभी भारतीय पुरुष पर्यटक बुरे नहीं होते, लेकिन ज्यादातर के साथ उनका अनुभव ज़्यादा अच्छा नहीं रहा है। हालत ये है कि कई गेस्ट हाउस तो भारतीयों को ठहराने से भी मना कर देते हैं। यहां पर इज़रायल के लोग सबसे ज्यादा संख्या में आते हैं।
करीब दो दशक पहले हुई थी कसोल गांव की खोज
कसोल के संबंध में इजराइल के नागरिकों का दावा है कि उन्होंने ही करीब दो दशक पहले कसोल गांव खोजा था. इसके बाद कई इजराइली पर्यटक पर्वती घाटी के किनारे बसे इस गांव में आने लगे। इस गांव में ड्रग्स, मस्ती और आराम का पूरा समय मिलने से सैलानियों की संख्या बढ़ने लगी है।
जब इजराइली यहां आए थे, तो उन्होंने जगह किराए पर लीं थी। इसके बाद उन्होंने धीरे-धीरे अपने गेस्ट हाउस, कैफे बनाए। यहां इंटरनेट कैफे में बातचीत की भाषा भी हिब्रु है क्योंकि इजराइली ज्यादा अंग्रेजी नहीं समझते हैं। गांव के लोगों ने भी खुद को इजराइलियों के रंग में रंग लिया है।