पेरेंट्स एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मांग की है कि वह अपनी घोषणा के मुताबिक निजी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के अभिवावकों को स्कूल प्रबंधन की मनमानी से राहत दिलाए। अभी तक बड़े नामी स्कूल जो कि चैरिटेबल ट्रस्ट और संस्थाओं द्वारा चलाए जा रहे हैं उनके द्वारा कोविड काल के 2 वर्ष में एक फूटी कौड़ी की राहत अभिवावकों को नहीं दी गई।
वहीं, मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषण के मुताबिक आज तक द हिमाचल प्रदेश प्राइवेट एजुकेशनल इंस्टिट्यूशन (रेगुलेशन) एक्ट 1977 में महत्वपूर्ण संशोधन की प्रक्रिया भी ठंडे बस्ते में पड़ गई है। लंबे समय से अभिभावक कोविड-19 के शुरुआती दौर से प्राइवेट स्कूलों द्वारा जबरदस्ती लिए जा रहे वार्षिक शुल्क और मनमानी के विरोध में प्रदेश भर में आवाज बुलंद करते आए हैं, लेकिन सरकार व प्रशासन निजी शिक्षण संस्थाओं के संदर्भ में कोई ठोस कानून व नियम ना होने के चलते लगातार बेबस नजर आ रही है और कोई भी ठोस फैसला लेने में सक्षम नहीं दिख।
हालांकि, कुछ महीने पहले सरकार ने निजी स्कूलों की नकेल कसने को आगामी विधानसभा सत्र में विधेयक ला कर बड़ा फैसला लेनेे की बात कही थी लेकिन बाद में सरकार बैकफुट पर आ गई थी और इस महत्वपूर्ण संशोधन को पुनः टाल दिया था। जिला स्तरीय रजिस्टर्ड संगठन पैरेंट्स
एसोसिएशन सेंट मैरी के प्रधान अश्वनी सैनी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री जयराम से मांग की है कि निजी स्कूलों की मनमानी पर सरकार तुरन्त रोक लगाए, इसके लिए प्राइवेट एजुकेशनल इंस्टिट्यूशन (रेगुलेशन) एक्ट 1977 में महत्वपूर्ण संशोधन करें।
एसोसिएशन ने आगे कहा कि हाईकोर्ट के फैसले के मुताबिक निजी स्कूलों द्वारा वार्षिक फीस वसूलना गैर कानूनी है। अगर मुख्यमंत्री को वादे के मुताबिक निजी एजुकेशनल इंस्टिट्यूशन (रेगुलेशन) एक्ट 1977 में महत्वपूर्ण संशोधन करने चाहिए और अभिवावकों को निजी स्कूलों की लूट से बचाना चाहिए।
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