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चीन ने बनाया दुनिया का पहला लड़ाकू ड्रोन, बढ़ा सकता है भारत की टेंशन!

समाचार फर्स्ट डेस्क |

चीन ने दुनिया का पहला एम्फीबियस ड्रोन बनाया है। इसका अधिकतम ऑपरेशन रेंज 1,200 किलोमीटर और इसकी लंबाई 12 मीटर है। इसकी अधिकतम गति 50 नॉटिकल मील (92.6 किमी/घंटा) है। चीनी सेना ने दावा किया है कि यह ड्रोन जमीन, हवा के साथ-साथ पानी में मार करने में सक्षम है।

ड्रोन को सेटेलाइट से किया जा सकता है नियंत्रित

ग्लोबल टाइम्स के सोमवार की रिपोर्ट के मुताबिक, इसे वुचांग शिपबिल्डिंग इंडस्ट्री ने तैयार किया है। इसका नाम मरीन लिजर्ड है। मध्य चीन के हुबेई प्रांत की राजधानी वुहान में 8 अप्रैल को इसे सफलतापूर्वक सेना को सौंपा गया। अधिकारियों का कहना है कि इस ड्रोन को सेटेलाइट के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता है।

 ग्लोबल टाइम्स ने एक अधिकारी के हवाले से कहा कि इसमें चार ट्रैक लगे हैं, जिसकी मदद से यह जमीन पर 20 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकती है। यदि इसमें बड़े ट्रैक लगा दिए जाएं तो इसकी गति और बढ़ाई जा सकती है।

 चीन के रक्षा विभाग का बजट (178 बिलियन अमेरिकी डॉलर) लगभग 12 हजार 328 करोड़ रुपए है। करीब 20 लाख सेना के साथ चीन की सेना दुनिया की सबसे बड़ी सेना है। हाल के वर्षों में चीन नए-नए हथियार बनाने पर ध्यान केंद्रीत कर रहा है।

अधिकारी ने कहा कि मरीन लिजर्ड के पेलोड में एक इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सिस्टम और एक राडार सिस्टम लगा है। इसमें दो मशीन गन, एंटी शिप और एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइलों के लिए वर्टिकल लॉन्चिंग सिस्टम भी लगाया गया है। यह ड्रोन बाधाओं को दूर कर खुद अपना रास्ता बना सकता है।

सेना विशेषज्ञ ने कहा कि एम्फीबियस ड्रोन जमीन पर मार करने में भी सक्षम है। यह हवाई हमलों का जवाब दे सकता है। जमीन से समुद्र में मार करना जोखिम भरा होता है, लेकिन मरीन लिजर्ड की यह खासियत है कि यह दोनों जगह मार करने में सक्षम है। यह दुश्मनों की स्थिति का पता लगाकर उन पर हमला भी कर सकता है।

तटीय सैनिकों के लिए ड्रोन बोट एक अच्छा विकल्प है। कंपनी के मैनेजर ने कहा कि यह आठ महीने तक निर्जन द्वीप पर निष्क्रिय रह सकता है। मरीन लिजर्ड दूसरे लड़ाकू सैनिकों से संपर्क कर उनकी मदद कर सकता है। इसमें नुकसान का खतरा कम है। यह निर्यात के लिए भी उपलब्ध है।