<p>भारत और इजरायल एक ही तरह के झंझावतों से निकले हुए सफल राष्ट्र हैं। आज के दौर में दोनों देश घनिष्ठ मित्र हैं। मगर, इसके पीछे एक लंबा अंतराल ऐसा है जहां पर इन दोनों राष्ट्रों का संघर्ष एक समान रहा है। रिफ्यूजी सेटलमेंट, आर्थिक एवं सामरिक क्राइसिस, पड़ोसी देशों के साथ युद्ध और लगातार आतंकवाद जैसे नासूर से जंग ये सभी मसले दोनों के लिए एक समान ही रहे हैं।</p>
<p>यही वजह है कि कई दशकों तक बिना डिप्लोमेटिक रिश्ते के भी दोनों देश एक दूसरे की मदद करते आए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इजराइल दौरे के दौरान इजराइली पीएम नेतान्याहू ने तो भावुक अंदाज में भारत-इजराइल के रिश्तों का बखान किया। नेतान्याहू ने कहा कि भारत-इजराइल की दोस्ती स्वर्ग में बनी है, जिसे धरती पर निभा रहे हैं।</p>
<p>यह कहना वाजिब होगा कि इस रिश्ते में निभाने की प्रक्रिया इजराइल की तरफ से ही ज्यादा रही है। मगर, देश के दूरदर्शी प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने पहली बार इजराइल के साथ 1992 में डिप्लोमेटिक रिश्ता कायम किया। इसके साथ ही व्यापार और दूसरे डिफेंस संबंधी कारोबार का द्वार भी औपचारिक तौर पर खुल गया।</p>
<p>आज की तारीख में भारत इजराइल के साथ व्यापार करने वाला 6वां सबसे बड़ा पार्टनर है। भारत और इजराइल के व्यापार संबंधों की पड़ताल करें तो कई ऐसी बातें हैं जो दोनों देशों के रिश्तों को अटूट बनाती हैं। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (भारत की तरफ से इजराइल जाने वाले पहले प्रधानमंत्री) की इजराइल यात्रा के दौरान जमीन से लेकर अंतरिक्ष तक 7 बड़े समझौते हुए हैं। लेकिन, यहां तक औपचारिक पहुंच बनाने में दोनों देशों को काफी वक्त भी लगा है।</p>
<p>1992 के बाद भारत-इजराइल संबंध में सबसे बड़ा पड़ाव 1997 में आया। इस दौरान इजराइली राष्ट्रपति एज़ेर वेज़मैन भारत की यात्रा करने वाले पहले यहूदी राष्ट्रपति बने। वेजमैन ने भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा, उपराष्ट्रपति केआर नारायणन और प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा से मुलाकात की थी।</p>
<p><strong>डिफेंस सेक्टर: </strong></p>
<p>डिफेंस सेक्टर में भारत और इजराइल के व्यापार को देखें तो यह नाता बहुत ही पुराना है। उस वक़्त में जब भारत अपने देश के अल्पसंख्यक समुदाय को तुष्ट करने के लिए फिलिस्तीन को ज्यादा तवज्जों दी…फिर भी इज़राइल ने डिफेंस सेक्टर में भारत की मांग को जाया नहीं जाने दिया। युद्ध जैसे आपात स्थिति में इजराइल ने फौरन भारत के लिए हथियार और गोला-बारूद मुहैया कराते रहे हैं। 1962 में चीनी आक्रमण, 1971 में बांग्लादेश के लिए पाकिस्तान से युद्ध और कारगिल की जंग में इजराइल की भूमिका काफी सराहनीय रही है।</p>
<p>1997 की इजराइली राष्ट्रपति वेज़मैन की यात्रा ने दोनों देशों के बीच पहली बार औपचारिक रूप से हथियार सौंदे की खरीद को हरी झंडी दी। तब भारत ने इजराइल से बराक-1 जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल की खरदीदारी की थी। यह डिफेंस डील भारत के लिए काफी जरूरी था। क्योंकि, उस दौरान पाकिस्तान ने भी अमेरिका से 27 हारपून और लॉकहीड मिसाइल की खऱीद की थी।</p>
<p>आज 1992 के डिप्लोमेटिक गठजोड़ से आज के डिफेंस सेक्टर की तुलना करें तो दोनों देशों के बीच तकरीबन 9 बिलियन डॉलर की बढ़ोतरी हुई है। भारत ने हाल ही में इजराइल से ड्रोन विमान की खऱीददारी की है। इस ड्रोन की मदद से बॉर्डर पर संचालित आतंकी गतिविधियों पर पैनी नज़र आसानी से रखी जा सकती है।</p>
<p><strong>भारत और इजराइल की अब तक की सबसे बड़ी डिफेंस डील </strong></p>
<ul>
<li>1996 में भारत ने 32 IAI सर्चर मानवरहित एरियल व्हिकल की खरीददारी की</li>
<li>2003 में फाल्कन AWACS की खऱीद… जो कि IAI राडार से लैस होती है। इसकी उपयोगिता को देखते हुए 2016 में भारत सरकार ने 2 अतिरिक्त फाल्कन की खरीद की मंजूरी दी।</li>
<li>2005 में भारत ने इजराइल से 50 ड्रोन विमान 220 मिलियन डॉलर में खऱीदे</li>
<li>2007 में इजराइली एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के साथ 2.5 बिलियन डॉलर का समझौता, जिसमें एंटी एयरक्राफ्ट सिस्टम और मिसाइल शामिल हैं</li>
<li>मार्च 2011 में 8356 इजराइली स्पाइक एंटी टैंक मिसाइल, 321 लांचर, 15 ट्रेनिंग सिमुलेटर की खऱीददारी की गई।</li>
<li>2015 में भारत सरकार ने 10 हेरोन टीपी ड्रोन की खरीददारी की।</li>
</ul>
<p><strong>सिविल ट्रेड</strong></p>
<p>अगर पुराने दिनों से आज की तुलना करें तो इजराइल के साथ भारत के व्यापार में लगातार उन्नति हुई है। पहले जहां दोनों देशों के बीच व्यापार 200 मिलियन डॉलर का हुआ करता था वह आज बढ़कर 5 बिलियन डॉलर प्रति वर्ष हो चुका है। आगामी दिनों में भारत-इजराइल फ्री ट्रेड का सपना भी साकार हो सकता है।</p>
<p>भारत प्रमुख रूप से इजराइल को कीमती पत्थर, मेटल, रासायनिक प्रोडक्ट, टेक्सटाइल, सब्जियां, रबर और प्लास्टिक एक्सपोर्ट करता है। इजराइल मशीनी उपकरण के अलावा भारत के साथ कृषि के क्षेत्र में भी बड़े स्तर पर काम कर रहा है। इजराइली खेती के लिए भी विश्व भर में जाने जाते हैं। भारत कृषि कार्य के लिए 35 फीसदी केमिकल्स और फर्टीलाइजर इजराइल से ही लेता है।</p>
<p><strong>भारत और इज़राइल के बीच ताजा व्यापारिक समझौत</strong></p>
<p>प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इजराइल दौरे के दौरान दोनों देशों ने अहम समझौतों पर अमलीजमा पहनाया है…</p>
<ul>
<li>259 करोड़ रुपए की लागत से द्विपक्षीय प्रौद्योगिकी कोष बनेगा। दोनों देश आधी-आधी राशि देंगे। दोनों देशों के वैज्ञानिक मिलकर अनुसंधान और विकास करेंगे।</li>
<li>सशक्त साझेदारी के दम पर व्यापार और निवेश बढ़ाने के उपाय किए जाएंगे। इससे भारत में इजराइली निवेश बढ़ेगा तो अधिक निर्यात भी किया जा सकेगा।</li>
<li>इजराइल के नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर, एनर्जी एंड वाटर रिसोर्सेस डिपार्टमेंट के साथ दो समझौते किए गए हैं। एक भारत में इजराइल के सहयोग से जल संरक्षण अभियान चलाने का और दूसरा उत्तर प्रदेश जल निगम के साथ जल व सफाई प्रबंधन का।</li>
<li>भारत-इजराइल का कृषि विकास सहयोग मिलकर तीन साल 2018 से 2020 तक कार्यक्रम चलाएंगे। कृषि क्षेत्र में इजराइली तकनीकों से लाभ मिलेगा।</li>
<li>अंतरिक्ष के क्षेत्र में दो समझौते किए गए। एक इसरो व इजराइल स्पेस एजेंसी के बीच “परमाणु घड़ी” के संबंध में और दूसरा छोटे सैटेलाइट को ईंधन पहुंचाने के लिए जीईओ-एलईओ ऑप्टिकल लिंक के लिए। इससे मिसाइलों, उपग्रहों, परमाणु अस्त्र-शस्त्रों के प्रक्षेपण के लिए परमाणु घड़ी एकदम सटीक समय और स्थिति बताएगी। इस घड़ी में 10 हजार साल में एक सेकंड का अंतर आता है। यह मौसम, वातावरण व गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से दूर रहती है। इससे जीपीएस व इंटरनेट की क्षमता बढ़ेगी।</li>
</ul>
<p>इसके अलावा इजराइल के साथ भारत क्लीन एनर्जी, बायोटेक, नॉनटेक, होमलैंड सिक्योरिटी, रियल एस्टेट, इंफ्रास्ट्रक्चर और वित्तीय सेवा में भी सफल समझौते कर सकता है।</p>
<p>एकेडमिक और संस्कृति</p>
<p>डिफेंस और सिविल सेक्टर में सहयोग के अलावा दोनों देशों के बीच एकेडमिक और कल्चर के क्षेत्र में भी काफी कुछ करने की जरूर है। तकरीबन 50 हजार इजराइली प्रति वर्ष भारत घूमने आते हैं। इनमें से अधिकांश युवा होते हैं और इनका फेवरिट डेस्टिनेशन हिमाचल की वादियां और गोवा के बीच होते हैं।</p>
<p>इसकी संभावना बहुत है कि दोनों ही देशों में परस्पर हिंदू और यहूदी संस्कृति के प्रति एक एकेडमिक कार्यक्रम शुरू किया जाए। ताकि दोनों ही देशों के नागरिकों के बीच समुदाय विशेष को समझने की प्रवृत्ति का विकास हो।</p>
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