अगर आपको टीका लगवाए तीन महीने से अधिक समय बीत चुका है तो संक्रमण के प्रति लापरवाह रवैया खतरनाक साबित हो सकता है। डब्लूएचओ ने ताजा दिशानिर्देश में कहा है कि अगर संक्रमित मरीज के संपर्क में आने वाला कोई व्यक्ति 90 दिन पहले दोनों डोज लगवा चुका था तो उसे टीकारहित माना जाए। यानी ऐसे संभावित संक्रमित व्यक्ति के इलाज को लेकर सरकारों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है क्योंकि इस अवधि के बाद टीके से मिलने वाली प्रतिरक्षा कमजोर हो जाती है।
पूरी दुनिया में कोरोना संक्रमण के कमजोर पड़ने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपने दिशानिर्देशों में संशोधन किया है। वैश्विक निकाय ने जो नए प्रोटोकॉल जारी किए हैं, उनसे यही परिलक्षित हो रहा है कि टीका लगवाने के तीन महीने बाद शरीर की प्रतिरक्षा में गिरावट होगी। यानी इस तरह दुनिया की टीका लगवा चुकी एक बड़ी तादाद के लिए बूस्टर की आवश्यकता की मांग भी जोर पकड़ सकती है। डब्लूएचओ ने दिशानिर्देश जारी करते हुए कहा कि बूस्टर डोज लगाने जाने का बहुत सीमित डाटा ही अभी उपलब्ध है।
डब्लूएचओ ने अपने ताजा दिशानिर्देश में कहा कि हाल में जिन लोगों ने कोरोना रोधी टीका लिया है, उन्हें संक्रमण जोखिम की श्रेणी में कम खतरे वाला माना जाए। मगर जिन लोगों ने 90 दिनों से ज्यादा समय पहले टीका लगवा लिया है, उन्हें जोखिम प्राथमिकता श्रृंखला में ऊपर रखना होगा क्योंकि उनके शरीर की प्रतिरक्षा समय के साथ घटी होगी। डब्लूएचओ ने यह भी कहा कि अगर टीका लगवा चुके लोग किसी संक्रमित के संपर्क में आ जाते हैं तो उन्हें टीकारहित माना जाएगा और इस श्रेणी के हिसाब से ही उनके लिए सरकारें क्वारंटाइन व जांच के प्रोटोकॉल का पालन कराएं।
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