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IIT मंडी ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर किया मेगा G-20 और S-20 मीट शुभारंभ

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मंडी: आईआईटी मंडी द्वारा अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर मेगा जी20 एवं एस20 मीट शुभारंभ किया गया। इस दौरान विभिन्न प्रमुख हितधारकों और विशेषज्ञों को एक साथ लाने के उद्देश्य से विभिन्न विषयों पर सामूहिक रूप से एक साथ कार्य करने पर चर्चा की गई ताकि समावेशी और दीर्घकालिक विकास के उद्देश्य को प्राप्त करने की दिशा में प्रगति को आगे बढ़ाया जा सके। इस अवसर पर प्रोफेसर प्रेम व्रत, चेयरमैन, बोर्ड ऑफ गवर्नर, आईआईटी मंडी और आईआईटी धनबाद की उपस्थिति में योग के शारीरिक और मानसिक लाभों को बताने के लिए वक्ताओं का सत्र, पैनल चर्चा और प्रौद्योगिकी को दिखाया गया।

आईआईटी मंडी में जी20-एस20 कार्यक्रम में प्रतिभागियों का स्वागत किया। आईआईटी मंडी और आईआईटी धनबाद के गवर्नर बोर्ड के अध्यक्ष प्रोफेसर प्रेम व्रत ने कहा, कि आईआईटी मंडी द्वारा अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के साथ जी20-एस20 कार्यक्रम का शुभारंभ करना संस्थान की एक बड़ी और महत्वपूर्ण पहल है। योग सबसे पुरानी भारतीय धरोहर है जिसे अब दुनिया भी पहचान रही है। यह दुनिया के लिए सबसे बेहतरीन भारतीय योगदान है। यह हमारे शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।

संस्थान द्वारा आयोजित आज के कार्यक्रम में वक्ताओं के ऐसे समूह को रखा गया गया है जो योग के महत्व पर अपना दृ्रष्टिकोण साझा करेंगे। आईआईटी मंडी में जी20-एस20 मीट में प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए आईआईटी मंडी के निदेशक प्रो. लक्ष्मीधर बेहरा ने कहा कि मैं आईआईटी मंडी में जी20-एस20 मीट में आप सभी का स्वागत करता हूं। इस मेगा कार्यक्रम का विषय राज्य और देश की प्रौद्योगिकी हस्तक्षेप की जरूरतों को ध्यान में रखकर निर्धारित किया गया है। योग कर्म सुकौशलम योग- द आर्ट ऑफ ऑल वर्क पर मुख्य संवाद किया। प्रो. लक्ष्मी धर बेहरा ने कहा, कि आज के आयोजन में हम योग की शक्ति और हमारे आधुनिक जीवन में इसके महत्व पर ध्यान केंद्रित करेंगे। जब हम आत्म निरीक्षण करते हैं तो हम कुछ ऐसा गहरा अनुभव करते हैं। जिसको किसी भी भाषया शब्द में वर्णन नहीं किया जा सकता है।

आधुनिक विज्ञान अभी भी एक ऐसे मॉडल का पता लगाने की कोशिश कर रहा है जो इस घटना की व्याख्या कर सके। चेतना की कला बड़ी अनूठी है। चेतना आंतरिक और बाहरी अस्तित्व के बारे में जागरूकता पैदा करता है। यह जटिल तंत्रों से जुड़ी आंतरिक शक्ति है। चेतना सभी में विद्यमान है। प्रत्येक व्यक्ति का चेतन मन स्वयं को एक पौधे, एक जलीय जंतु या एक मानव के रूप में अभिव्यक्त करता है। योग कोई धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि जीवन जीने का तरीका है। वहीं पर आईआईटी खडग़पुर के सेंटर आफ एक्सीलेंस की डॉ. ऋ चा चोपड़ा ने कहा कि बेहतर मानसिक स्वास्थ्य एक ऐसी स्थिति है जिसमें एक व्यक्ति अपनी क्षमताओं को समझता है और समाज के लिए उत्पादक रूप से काम करने तथा योगदान करने की क्षमता को पहचानता है।

पतंजलि के योग सूत्र जिन्हें मानसिक अनुशासन के विज्ञान के रूप में भी जाना जाता है औरइसके माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य के बारे में सार्वभौमिक विचारों का समावेश भी किया जाता है। यह योग सूत्र समझदारी के उच्च स्तरों, गहरी ज्ञान प्राप्ति और मन के भीतर मौजूद शक्ति और ज्ञान को उन्मुख करके प्राकृतिक शांति की स्थिति की ओर पथ प्रदर्शित करते हैं। वहीं हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के विभागीय प्रोफेसर डॉ. सत बिर खालसा ने योग की बायो मेडिकल साइकोफिजियोलॉजी को समझने के संबंध में कहा कि योग एक प्राचीन आचरण प्रथा है जिससे मन-शरीर जागरूकता या माइंडफुलनेस और शारीरिक स्वास्थ्य के कौशलों का विकास संभव होता है। योग अभ्यासों के लाभों पर शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक कार्यक्षमता पर अनुसंधान तेजी से बढ़ रहा है।

अन्य प्रमुख सत्रों में सुश्री पॉलोमी मुखर्जी आर्ट ऑफ़ लिविंग के सरकारी कार्यक्रमों और परियोजनाओं की क्षेत्रीय निदेशक द्वारा योग को हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न अंग बनाने पर संवाद किया। डॉ. राजेश सांद, प्रभारी क्षेत्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान, मंडी के सहायक निदेशक द्वारा आयुर्वेद के अभिन्न अंग के रूप में योग पर चर्चा के अलावा डॉ. सुव्रो कमल दत्ता, वरिष्ठ विशेषज्ञ, मीडिया और राजनीति द्वारा योग के माध्यम से सार्वभौमिक भाईचारे और प्रेम के प्रसार पर संबोधन किया। भारत की जी 20 की अध्यक्षता में आईआईटी मंडी द्वारा आयोजित इस मेगाइवेंट द्वारा सहयोग और ज्ञान के आदान-प्रदान केलिए एक अद्वितीय प्रतिभा पूल बनाने केलिए दुनिया भर के प्रतिनिधियों के एक विविध और प्रभावशाली समूह को एक साथ लाने का अवसर प्रदान किया जा रहा है।