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मां श्यामला के नाम से बना ‘शिमला’, कई ऐतिहासिक क्षणों का रहा गवाह

पी. चंद |

देश की ब्रिटिशकालीन ग्रीष्मकालीन राजधानी शिमला में अंग्रेजो ने 1815 में पहली बार पदार्पण किया था। उस समय शिमला गोरखा शासकों के अधीन था। शिमला में अपना आधिपत्य जमाने के लिए अंग्रेजो को गोरखा शासकों से युद्ध लड़ना पड़ा था। ये युद्ध नालागढ़ के रामगढ़ किले में लड़ा गया, जिसमें गोरखाओं की करारी हार हुई परिणामस्वरूप उन्हें शिमला छोड़ना पड़ा। तत्पश्चात अंग्रेजो का शिमला में आना आरंभ हुआ और पहाड़ी रियासतों पर भी अपना आधिपत्य जमा लिया।

अंग्रेजों को उत्तर भारत के पहाड़ी क्षेत्र शिमला में अपने देश इंग्लैंड  का आभास होता था। यही वजह रही कि अंग्रेजों को यह जगह इतनी पसंद आई की उन्होंने शिमला शहर को इंग्लैंड की तरह तराशने की कोशिश की। अंग्रेजी हकूमत ने जो भी ऐतिहासिक भवन शिमला में बनाएं आज भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं। साथ ही शिमला के अस्तित्व का गवाह भी है।

श्यामला देवी के नाम पर पड़ा शिमला नाम

मां काली के श्यामला देवी मंदिर के नाम पर शिमला का नाम पड़ा था। 1845 में निर्मित काली बाड़ी मंदिर जो मॉलरोड़ के पास स्थित है, यह देवी श्यामल को समर्पित है माना जाता है कि शिमला का यह नाम उनके नाम से ही रखा गया है। श्यामला देवी को देवी काली का ही अवतार माना जाता है। मंदिर में देवी की लकड़ी की एक मूर्ति प्रतिस्थापित है। इसी मां के नाम से श्यामला देवी के नाम पर शिमला नाम पड़ा।

अंग्रेज शिमला का सही नाम नहीं बोल पाते थे। दरअसल वे शिमला को 'सिमला' कहते थे। वहीं, दूसरी ओर अंग्रेजों के जाने के बाद भी अंग्रेजी भाषा में शिमला को सिमला ही लिखा जाता था। 80 के दशक में हिमाचल सरकार ने हिंदी में इसके बोलने के हिसाब से अंग्रेजी में भी शिमला लिखे जाने की अधिसूचना जारी की।  

अंग्रेजों के शासनकाल में शिमला ब्रिटिश साम्राज्य की समर कैपिटल थी। सन 1947 में आजादी मिलने तक शिमला का दर्जा समर कैपिटल का ही रहा। शिमला की खोज का श्रेय चार्ल्स कैनेडी को जाता है। कैनेडी को अंग्रेजों ने पहाड़ी रियासतों का राजनीतिक अधिकारी नियुक्त किया था। सन 1822 में उन्होंने यहां पहला घर बनाया, जिसे कैनेडी हाउस के नाम से जाना जाता है।

 शिमला का इतिहास

-1830  में शिमला को शहर की तरह बसाने की कवायद शुरू हुई।
-1832 में ब्रिटिश सरकार के गवर्नर जनरल लॉर्ड पीटर ऑरोनसन ने महाराजा रणजीत सिंह से जमीन ले ली।
-1864 में अंग्रेजों ने इसे अधिकारिक तौर पर समर कैपिटल घोषित कर दिया।
-इस क्षेत्र की ज्यादातर जमीनें या तो पटियाला रियासत के पास थी या फिर स्थानीय क्योंथल रियासत के पास।
 
कई ऐतिहासिक क्षणों का गवाह रहा शिमला

मैकमोहन लाइन का खाका भी शिमला में ही तैयार किया गया। भारत और पाकिस्तान की सीमाओं का मूल्य करने के लिए बने कमीशन, जिसे रैड क्लिफ कमीशन के नाम से जाना जाता है, इसकी अधिकांश बैठकें शिमला के यूएस क्लब में हुई। बता दें कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या के मामले की सुनवाई भी शिमला में ही हुई थी। इसके अलावा भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध के बाद  शिमला समझौता भी यहीं हुआ था। यानी कि पहाड़ों की रानी शिमला कई ऐतिहासिक क्षणों का गवाह रहा है।