बिजली बोर्ड के घाटे को कम करने के लिए सरकार लगातार प्रयासरत
औद्योगिक सब्सिडी को लेकर सरकार उद्योगपतियों को नुकसान नहीं होने देगी
भाजपा में अंदरूनी खींचतान पर तंज, कांग्रेस सरकार स्थिर और मजबूत
Himachal Power Board Rationalization: हिमाचल प्रदेश के प्रधान मीडिया सलाहकार नरेश चौहान ने स्पष्ट किया कि सरकार की युक्तिकरण नीति (Rationalization Policy) के तहत बिजली बोर्ड में किसी पद को समाप्त करने की कोई योजना नहीं है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में प्रदेश सरकार बिजली बोर्ड और परिवहन निगम को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है।
बिजली बोर्ड को हर साल 2300 करोड़ की सहायता
चौहान ने बताया कि प्रदेश सरकार हर साल बिजली बोर्ड को 2300 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता दे रही है। बोर्ड को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मुख्यमंत्री ने सम्पन्न उपभोक्ताओं और उद्योगपतियों से सब्सिडी छोड़ने की अपील की थी, जिसका सकारात्मक असर देखने को मिला है।
उन्होंने यह भी कहा कि बोर्ड के पास अब कोई नया प्रोजेक्ट नहीं है। हिमाचल में अब पावर कॉरपोरेशन और अन्य प्रोजेक्ट बिजली का उत्पादन कर रहे हैं, जिससे प्राप्त मुफ्त बिजली बोर्ड को दी जाती है। इसके बावजूद बोर्ड को बिजली ₹2.50 से ₹2.70 प्रति यूनिट की दर से मिल रही है, जिसे सुधारने की प्रक्रिया जारी है।
औद्योगिक सब्सिडी पर सरकार का रुख स्पष्ट
औद्योगिक सब्सिडी को लेकर नरेश चौहान ने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने उद्योगपतियों को यह आश्वासन दिया है कि उनके हितों की रक्षा की जाएगी। पंजाब और हरियाणा की तुलना में हिमाचल प्रदेश में बिजली की दरें पहले ही कम हैं, इसलिए उद्योगपतियों को किसी तरह का नुकसान नहीं होगा।
भाजपा पर किया पलटवार
भाजपा के इस दावे पर कि हिमाचल में जल्द ही बड़ा राजनीतिक बदलाव होने वाला है, चौहान ने चुटकी लेते हुए कहा कि असल में भाजपा में ही बड़ा बदलाव होने वाला है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए नेताओं के कारण पार्टी में आंतरिक खींचतान और असंतोष बढ़ता जा रहा है।
भाजपा विधायकों के बैठक से दूर रहने पर सवाल
नरेश चौहान ने भाजपा विधायकों के विधायक प्राथमिकता बैठक से अनुपस्थित रहने को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने भाजपा विधायकों को बैठक में जाने से रोका, जबकि कई विधायक अपने क्षेत्र की समस्याओं को उठाना चाहते थे।
उन्होंने मंडी जिले के साथ भेदभाव के आरोपों को भी निराधार बताया और कहा कि सरकार ने हर विधानसभा क्षेत्र को समान रूप से धनराशि आबंटित की है।