Himachal Power Board Protest: हिमाचल प्रदेश में सरकार और बिजली बोर्ड कर्मचारियों के बीच विवाद अभी भी जारी है। कर्मचारी युक्तिकरण और अन्य मांगों को लेकर संघर्षरत हैं। इसी मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के गृह जिला हमीरपुर और डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री के गृह क्षेत्र में बिजली बोर्ड कर्मचारियों और इंजीनियरों की पंचायत आयोजित की गई थी। इस बैठक में ज्वाइंट एक्शन कमेटी ने सरकार के खिलाफ रोष जताया। हालांकि, इसके बावजूद सरकार और बिजली बोर्ड प्रबंधन की ओर से अभी तक वार्ता के लिए कर्मचारियों को नहीं बुलाया गया है। इससे नाराज कर्मचारियों ने वर्क-टू-रूल के तहत काम करने का फैसला लिया है।
इस नए नियम के तहत अब अगर शाम 5 बजे के बाद किसी क्षेत्र में बिजली गुल होती है, तो लोगों को अगले दिन सुबह 10 बजे तक बिजली बहाल होने का इंतजार करना पड़ेगा। कर्मचारियों का कहना है कि वे केवल अपने अनुबंध में लिखित कार्य करेंगे और अतिरिक्त सेवाएं, जैसे ओवरटाइम और इमरजेंसी रिपेयर, प्रदान नहीं करेंगे।
मास कैजुअल लीव पर जाने का फैसला टला
बिजली बोर्ड कर्मचारी संघ ने युक्तिकरण के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। संघ ने बोर्ड द्वारा कर्मचारियों की छंटनी, पद कटौती और युक्तिकरण के फैसले को अनुचित बताया। हाईकोर्ट ने इस मामले में बिजली बोर्ड के प्रबंध निदेशक को आदेश दिया है कि वे 15 मार्च से पहले इस विषय पर कर्मचारी संघ के 17 फरवरी 2024 और 28 जनवरी 2025 को रखे गए पक्ष पर निर्णय लें।
यदि बोर्ड कोई फैसला नहीं लेता, तो यह मामला प्रदेश सरकार के पास जाएगा। अदालत ने यह भी निर्देश दिया है कि कर्मचारी संघ को अपना पक्ष रखने का पूरा अवसर दिया जाए। अगली सुनवाई 31 मार्च को होगी। कोर्ट के आदेशों को देखते हुए ज्वाइंट एक्शन कमेटी ने 24 फरवरी को होने वाली मास कैजुअल लीव को फिलहाल टाल दिया है।
वर्क-टू-रूल क्या है?
वर्क-टू-रूल एक प्रकार का श्रमिक विरोध है, जिसमें कर्मचारी अपने अनुबंध में दिए गए नियमों और प्रक्रियाओं के तहत ही काम करते हैं। इसमें वे कोई अतिरिक्त कार्य या ओवरटाइम नहीं करते। यह कोई हड़ताल नहीं होती, लेकिन इससे काम की गति धीमी हो जाती है, जिससे सरकार और प्रबंधन पर दबाव बनाया जाता है। हिमाचल में बिजली कर्मचारी अब केवल सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक ही काम करेंगे और आपातकालीन सेवाएं प्रदान नहीं करेंगे।



