➤ राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने सिराज के आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर बांटी राहत सामग्री
➤ थुनाग, बख्शयाड़, जंजैहली में प्रभावित परिवारों से मिले, तीन करोड़ से अधिक की सहायता को मंजूरी
➤ “क्षति की भरपाई संभव नहीं, लेकिन हरसंभव मदद जारी रहेगी” — राज्यपाल
हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने आज मंडी जिले के सिराज विधानसभा क्षेत्र के आपदा प्रभावित थुनाग, बख्शयाड़ और जंजैहली क्षेत्रों का दौरा किया। उन्होंने वहां प्रभावित परिवारों से भेंट कर उनकी समस्याएं सुनीं और राहत सामग्री वितरित की।
राज्यपाल ने थुनाग क्षेत्र में आपदा से पीड़ित लोगों से संवाद करते हुए बताया कि यह उपमंडल इस बार की आपदा से सबसे अधिक प्रभावित हुआ है, जहां निजी संपत्ति, भूमि और पशुधन को भारी क्षति हुई है। उन्होंने जानकारी दी कि यहां तीन करोड़ रुपये से अधिक की सहायता राशि के मामलों को अंतिम मंजूरी दी जा चुकी है।

राज्यपाल शुक्ल ने कहा कि इतनी बड़ी क्षति के बावजूद लोगों का हौंसला अनुकरणीय है और उन्होंने आश्वस्त किया कि “पूर्ण भरपाई संभव नहीं है, लेकिन हर स्तर पर हरसंभव सहायता उपलब्ध करवाई जाएगी।” उन्होंने यह भी कहा कि आपदा प्रबंधन के लिए आंतरिक संसाधनों के साथ-साथ अतिरिक्त उपायों पर भी गंभीरता से विचार करना होगा।

बख्शयाड़ राहत शिविर और थुनाग के लोक निर्माण विभाग विश्राम गृह में राज्यपाल ने प्रभावित लोगों से व्यक्तिगत तौर पर बातचीत की। इसके बाद उन्होंने पंचायत घर पखरेड़ का दौरा कर झुंडी और पखरेड़ पंचायतों के हालात का भी जायजा लिया। उन्होंने जंजैहली में भी पहुंचकर प्रभावितों को सांत्वना दी।

राज्यपाल ने बताया कि राजभवन की ओर से पहले ही राहत सामग्री से भरे पांच वाहन मंडी और एक कुल्लू भेजा जा चुका है, और अगर और आवश्यकता पड़ी तो राजभवन तत्परता से और राहत भेजने को तैयार है।
उन्होंने जोर दिया कि भविष्य में इस तरह की आपदाओं को रोकने के लिए सभी को सुप्रीम कोर्ट के पर्यावरण संरक्षण निर्देशों पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार की विशेषज्ञ टीम इस आपदा के कारणों और नुकसान का आंकलन कर रही है।

इस दौरान नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर भी मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि लोग सदमे में हैं, उनकी आजीविका के स्रोत नष्ट हो चुके हैं और वे अस्थायी व्यवस्थाओं के सहारे जीने को मजबूर हैं। उन्होंने राज्यपाल और सरकार द्वारा की जा रही राहत पहल की सराहना की, और कहा कि पुनर्वास सबसे बड़ी चुनौती है जिसमें हर वर्ग को मिलकर योगदान देना होगा।
इस मौके पर स्थानीय लोगों ने भी राज्यपाल से भेंट कर अपनी पीड़ा साझा की और आपदा से जुड़े अनुभव सुनाए, जिससे शासन को वास्तविक हालात समझने में सहायता मिली।



