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घर बह गए, जिंदगियां उजड़ गईं, मगर केंद्र से राहत पैकेज नहीं आया: सीएम

➤ मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने केंद्र सरकार पर आपदा राहत पैकेज न देने का आरोप लगाया
➤ 2023 में 12 हजार करोड़ का नुकसान और 500 से ज्यादा मौतें, फिर भी स्पेशल पैकेज नहीं मिला
➤ राज्य सरकार सीमित संसाधनों से आपदा प्रभावितों को मुआवजा और मदद दे रही है



हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदा ने प्रदेश को बुरी तरह झकझोर दिया, हजारों लोग उजड़ गए, घर और संपत्ति बह गई, लेकिन अब तक विशेष राहत पैकेज नहीं मिला। सीएम ने सवाल उठाया कि क्या अब आपदा भी राजनीति के तराजू पर तोली जाएगी?

सीएम सुक्खू ने लिखा कि हमारे लोग आपदा से उजड़ गए, जिंदगियां बिखर गईं, लेकिन केंद्र की ओर से अब तक कोई विशेष पैकेज नहीं आया। जब जनता का दुख आसमान छू रहा हो, तब राहत का इंतजार और भी दर्दनाक हो जाता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार अपने संसाधनों से हर पीड़ित तक मदद पहुंचा रही है।

गौरतलब है कि 2023 में हिमाचल को सदी की सबसे बड़ी आपदा का सामना करना पड़ा था। उस दौरान 12 हजार करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति का नुकसान हुआ था और 500 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। विधानसभा में प्रस्ताव पास कर राज्य ने इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का आग्रह भी किया था, लेकिन केंद्र से विशेष राहत पैकेज नहीं मिला।

बीते साल भी मानसून में भारी तबाही हुई और इस साल अब तक 2800 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति का नुकसान हो चुका है। मुख्यमंत्री ने बताया कि केंद्र से अब तक सिर्फ एसडीआरएफ के तहत बजट मिला है, जबकि विशेष पैकेज अब तक नहीं दिया गया।

राज्य सरकार अपने स्तर पर प्रभावितों को राहत दे रही है। जिनके घर पूरी तरह टूट गए, उन्हें 7 लाख रुपए, सामान और कपड़े के लिए 70 हजार रुपए, आंशिक नुकसान पर 25 हजार से 1 लाख रुपए, और जिनका पशुधन मरा उन्हें 55 हजार रुपए दिए जा रहे हैं।

सीएम सुक्खू ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि अब और देरी न की जाए और तुरंत आपदा राहत पैकेज जारी किया जाए, ताकि प्रभावित परिवारों तक समय पर राहत पहुंच सके।