शिमला लोकसभा सीट में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर नज़र आ रही है। इस बार मुक़ाबला दो सेवानिवृत्त फौजियों के बीच है। एक सिरमौर तो दूसरा सोलन से है। शिमला संसदीय सीट वैसे तो कांग्रेस का गढ़ रहा है। लेकिन पिछले दस साल से बीजेपी के प्रत्याशी वीरेंद्र कश्यप यहां से सांसद रहे हैं।
वीरेन्द्र कश्यप की जीत के पीछे पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल का बहुत बड़ा हाथ माना जाता है। क्योंकि उनके नेतृत्व में भाजपा ने सिरमौर के कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगाई और भाजपा की स्थिति को मजबूत किया। उधर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. राजीव बिन्दल की सोलन व सिरमौर में पकड़ भी बीजेपी को बढ़त दिलाती रही। इस बार दारोमदार मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर पर है। क्योंकि धूमल सिरमौर का रुख नहीं कर रहे हैं जबकि, डॉ. राजीव बिन्दल विधानसभा अध्यक्ष हैं जिसके चलते खुलकर प्रचार नहीं कर पा रहे हैं।
ऐसे में मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर मंडी व सिरमौर में ही अपना अधिक समय लगा रहे है। क्योंकि दोनों ही सीटें इस बार प्रतिष्ठा से जुड़ी हुई है। मुख्यमंत्री बनने के बाद ये जय राम ठाकुर का पहला चुनाव है। उनकी अग्निपरीक्षा का समय है। इसलिए हिमाचल की चारों सीट निकालना उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती है। जिनकी वजह भी है 2014 के चुनाव में विपक्ष में होते हुए भी बीजेपी ने चारों सीटें जीती थी।
भले ही उस वक़्त मोदी लहर थी लेकिन धूमल के योगदान को भी कम नहीं आंका जा सकता है। इन चुनावों में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की साख भी दांव पर लगी है।