उद्योग-श्रम रोजगार मंत्री बिक्रम सिंह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा राष्ट्र के लिए घोषित आर्थिक पैकेज का स्वागत किया है। बिक्रम सिंह ने कहा कि वर्तमान में हिमाचल प्रदेश में लगभग 55 हजार MSME औद्योगिक इकाइयां हैं। यह कुल इकाइयों का 98 प्रतिशत हैं और एमएसएमई की रोजगार सृजन में 93 प्रतिशत भागीदारी है। कुल औद्योगिक उत्पादन में एमएसएमई का हिस्सा 85 प्रतिशत है। इस तरह हिमाचल प्रदेश एक एमएसएमई राज्य है।
उद्योग मंत्री ने कहा कि आज की गई घोषणाओं में एमएसएमई की नई परिभाषा जिसमें सूक्ष्म वर्ग (माइक्रो कैटेगिरी) के लिए निवेश की सीमा को 25 लाख रुपये से एक करोड़ रुपये कर दिया गया है तथा टर्न ओवर की सीमा एक करोड़ रुपये तक रखी है, इससे छोटे उद्योगपतियों को लाभ होगा। इसी तरह लघु उद्योगों के लिए निवेश सीमा 5 करोड़ रुपये से 10 करोड़ रुपये कर दी है और मध्यम उद्योगों के लिए 10 करोड़ से 20 करोड़ रुपये कर दी गई है, जिससे उन्हें लाभ होगा।
बिक्रम सिंह ने कहा कि एमएसएमई उद्योगों को 3 लाख करोड़ का कर्ज चार सालों में वापस करना होगा। कर्ज में डूबे लघु उद्योगों को 20 हजार करोड़ रुपये का कर्ज दिया जाएगा, किसी तरह की भी गारंटी की आवश्यकता नहीं होगी। इससे उद्यमियों को कच्चे माल की आपूर्ति और अन्य खर्चों के लिए धन उपलब्ध हो पाएगा और अपना कारोबार बढ़ा सकेंगे। 200 करोड़ रुपये तक का टैंडर अब ग्लोबल टैंडर नहीं होगा। इससे घरेलू औद्योगिक उत्पादन बढ़ेगा। इसका सीधा लाभ एमएसएमई इकाइयों को होगा।
31 अक्तूबर, 2020 तक कोई गारंटी फीस नहीं होगी। इससे 45 लाख इकाइयों को लाभ मिलेगा। फंड ऑफ फंडस की घोषणा से अच्छे काम करने वाली इकाइयों को प्रोत्साहन मिलेगा। उद्योग मंत्री ने कहा कि ई-मार्केट लिंक की उपलब्धता से एमएसएमई की इकाइयों को अपने उत्पाद की बिक्री में सुविधा मिलेगी। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के अन्तर्गत भारत सरकार द्वारा कर्मचारियों के भविष्य निधि खाते में राशि जमा करने की अवधि 3 महीने और बढ़ा दी गई है।