एक औऱ जहां कोरोना का के चलते युवा रोजगार के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं वहीं दूसरी ओऱ प्रदेश में जो नौकरियां निकल रही हैं उन पर भी बाहरी प्रदेश के अभ्यर्थिओं की भर्ती हो रही है। 2017 के चुनावों से पहले नौकरियों को लेकर वादे तो बड़े बड़े किये गए लेकिन प्रदेश में बेरोजगारी पिछले 4 सालों में घटती नजर नहीं आई और 2018 के बाद से ही जयराम ठाकुर रोजगार के मुद्दे पर कठघरे में हैं।
विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान नादौन से विधायक सुखविंदर सिंह सुक्खू के एक प्रश्न का जवाब देते हुए सरकार की तरफ से श्रम मंत्री बिक्रम ठाकुर ने को बताया था कि जनवरी 2018 से दिसंबर 2020 के बीच सरकार ने 28,661 युवाओं को नौकरी दी है। इसमें भी नियमित सिर्फ 3,109 और 17,390 अनुबंध पर ऱखा है। जबकि आउटसोर्सिंग में 7,747 को रोजगार मिला।
दूसरी ओर प्राइवेट सेक्टर में भी सरकार को कोई बड़ी उपलब्धी नहीं मिली है। उधऱ कोरोना के चलते जहां टूरिज्म और होटल सेक्टर घाटे में है। वहीं जयराम सरकार ने ग्लोबल इन्वेस्टर मीट में 95,000 करोड़ के सपने तो दिखाए गए लेकिन जमीन पर ये प्रोजेक्ट अब तक उतर नहीं पाए।
अब रोजगार के मसले को लेकर कांग्रेस भी एक्टिव हो गई है। यूपी-बिहार के लोगों को JE बनाने पर कांग्रेस ने बीते दिन मोर्चा खोल था। अब उपचुनावों से पहले नौकरियों को लेकर कांग्रेस लोगों के बीच जाने की तैयारी में है। वहीं 2022 के चुनाव नजदीक आते ही सरकार ने नौकरियों का पिटारा खोल दिया है लेकिन देखना अब ये है कि क्या सरकार युवाओं की आकंक्षाओं पर खरी उतरेगी या फिर विपक्ष इस मुद्दे को लेकर युवाओं के बीच पकड़ बनाने में कामयाब हो पाएगा।