पूर्व केंद्रीय रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के बेटे उत्पल पर्रिकर ने राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा नेतृत्व पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर पार्टी पणजी निर्वाचन क्षेत्र के मौजूदा विधायक अतानासियो मोनसेरेट को अपना टिकट देती है तो वह चुप नहीं बैठेंगे। आपको बता दें कि उत्पल की नजर अपने पिता की परंपरागत सीट पर, जिसका प्रतिनिधित्व उन्होंने अपने जीवन के आखिरी क्षण तक किया था। इसके बाद भगवा पार्टी ने अतानासियो मोंसेरेट को पार्रिकर का सियासी उत्तराधिकारी बनाया।
भाजपा के गोवा प्रभारी देवेंद्र फडणवीस ने हाल ही में कहा था कि कोई भी बीजेपी के टिकट के लिए सिर्फ इस कारण से योग्य नहीं हो सकता है कि वह दिवंगत मनोहर पर्रिकर या किसी अन्य नेता का बेटा हौ।
उत्पल पर्रिकर उन्होंने कहा, ‘गोवा में जिस तरह की राजनीति हो रही है, मैं उसे बर्दाश्त नहीं कर सकता। यह मुझे मंजूर नहीं है। उन्होंने कहा क्या वे यह कहना चा रहे हैं कि उम्मीदवार का चरित्र कोई मायने नहीं रखता? आप एक ऐसे व्यक्ति को टिकट देने जा रहे हैं जिसका आपराधिक इतिहास रहा है। क्या हमें चुपचाप घर बैठना है?”
उन्होंने आगे कहा, “ये बहुत महत्वपूर्ण चीजें हैं और यह केवल पणजी के बारे में नहीं है। गोवा के राजनीतिक परिदृश्य में जो हो रहा है वह स्वीकार्य नहीं है। इसे बदलना होगा। मैं यही कोशिश कर रहा हूं।”
आपको बता दें कि उत्पल का विरोध अतानासियो को लेकर है, जो एक पूर्व कांग्रेसी हैं। उन्होंने 2008 तक दंगों, बलात्कार सहित कई मामलों का सामना किया है। मनोहर पर्रिकर के निधन के बाद अतानासियों को 2019 विधानसभा उपचुनाव में भाजपा ने उम्मीदवार बनाया था। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार को हराया था। भाजपा उम्मीदवार सिद्धार्थ कुनकैलिनकर को पार्टी के टिकट के लिए उत्पल की जगह चुना गया।
फडणवीस ने कहा है, “मनोहर पर्रिकर ने गोवा में बीजेपी पार्टी को स्थापित करने के लिए बहुत काम किया। लेकिन सिर्फ इसलिए कि आप मनोहर पर्रिकर के या किसी नेता के बेटे हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि आपको बीजेपी का टिकट मिल जाएगा। अगर उसके पास दिखाने के लिए काम है तो हम इसके बारे में सोचते हैं। लेकिन इस बारे में फैसला मेरे द्वारा नहीं लिया जाएगा, यह संसदीय बोर्ड द्वारा लिया जाएगा।”
उत्पल ने कहा कि पार्टी के सभी कार्यकर्ता और समर्थक जो 1994 से (जब पर्रिकर पहली बार चुने गए थे) उनके पिता के साथ थे, आज उनके साथ हैं। उन्होंने कहा, ‘अगर अब आप मैदान पर जाएंगे तो देखेंगे कि जो लोग 1994 से बाबा (उनके पिता) के साथ थे और जिन्होंने पणजी में पार्टी बनाई है, वे आज मेरे साथ हैं। मैं पणजी के लोगों के पास जा रहा हूं और मैं उनसे निजी तौर पर मिल रहा था।
अब जब चुनाव नजदीक है तो मैं उनसे सार्वजनिक रूप से मिल रहा हूं। जो कार्यकर्ता मनोहर पर्रिकर के साथ थे, वे अब मेरे साथ हैं। मैं उनके साथआगे बढ़ रहा हूं।” हालांकि उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ने की बात पर कहा, “मैंने अभी तक फाइनल नहीं किया है। सही समय पर मैं फैसला लूंगा।”