मासूम किरण की मौत के मामले में आज दोपहर को आखिरकार पीड़ित परिवार को प्रशासन ने 5 हजार की आर्थिक सहायता दी है. स्थानीय प्रशासन ने फौरी राहत के मायने भी बदल दिए हैं. वीरवार देर शाम 8:00 बजे के करीब 3 साल की मासूम किरण को झुग्गी के आंगन से लावारिस कुत्तों का झुंड उठाकर ले गया और झाड़ियों में उसे बुरी तरह से नोच डाला.
नगर परिषद हमीरपुर के वार्ड नंबर 8 में नगर में पेश आई इस दर्दनाक घटना में मासूम किरण की मौके पर ही मौत हो गई. मासूम किरण के नाजुक शरीर पर इतने जख्म थे. कि गिनना मुश्किल था. हड्डियां तक आदमखोर कुत्तों ने चटक डाली थी.
ऐसे में प्रशासनिक फौरी राहत शनिवार दोपहर को पीड़ित परिवार को दी गई. करीब 36 घंटे के बाद इस परिवार को यह फौरी राहत मिली कायदे से 24 घंटे के भीतर फौरी राहत इस तक के मामलों में दी जाते हैं.
वीरवार को यह घटना शाम के वक्त सामने आई थी और जिसके बाद शनिवार को परिवार को 5 हजार के राहत राशि जिला राजस्व विभाग हमीरपुर की तरफ से दी गई है. पीड़ित प्रवासी परिवार मूलत पंजाब के होशियारपुर का है जो कि हमीरपुर शहर में सफाई का कार्य करता है.
किरण के पिता माखनलाल सफाई कर्मचारी हैं और शहर की गंदगी हर दिन साफ करते हैं. पीड़ित परिवार के हाथ हर दिन शहर के स्वच्छता के लिए उठते हैं. लेकिन दुख की घड़ी में कोई मदद का हाथ इन तक नहीं बढ़ा. जवाब देह प्रशासनिक अधिकारियों ने फौरी राहत समय पर देना तो दूर बल्कि पीड़ित परिवार से बातचीत करना भी उचित नहीं समझा और मौके तक जाने की जहमत नहीं उठाई.
राहत राशि देने पहुंचे पटवारी और नगर परिषद अध्यक्ष
पीड़ित परिवार को राहत राशि देने के लिए नगर परिषद हमीरपुर के अध्यक्ष और राजस्व विभाग के कर्मचारी पहुंचे. पटवारी के तरफ से पीड़ित परिवार को ₹5000 की राहत राशि विभाग की तरफ से दी गई है.
नगर परिषद हमीरपुर के अध्यक्ष मनोज कुमार मिन्हास इस घटना के आधे घंटे के बाद ही वीरवार शाम को मौके पर पहुंच गए थे और अपनी तरफ से ₹3000 आर्थिक मदद परिवार को दी थी. नगर परिषद हमीरपुर के अध्यक्ष ने अपनी जिम्मेवारी का कुछ हद तक निर्वहन किया. लेकिन प्रशासनिक और विभाग के अधिकारियों की संवेदनहीनता नहीं .यहां पर कई सवाल खड़े किए हैं. क्या गरीब की बेटी की जान की कोई कीमत नहीं है.