सोमवार को राष्ट्रीय डीबार्मिंग डे के उपलक्ष्य में बच्चों को पेट के कीड़े मारने की दवाई खिलाने के दौरान भवारना के साथ लगती बारी पंचायत के चंजेहड़ आंगनबाड़ी केंद्र में तीन साल की बच्ची की मौत हो गई. प्राप्त जानकारी के अनुसार सोमवार को पूरे प्रदेश में हर आंगनबाड़ी व स्कूलों में बच्चों के पेट के कीड़े मारने की दवाई (अल्बेंडाजोल) खिलाई जा रही थी. इसी कड़ी में चंजेहड़ गांव के आंगनबाड़ी केंद्र में रूटीन से दवाई खिलाई जा रही थी. वहां छोटी सी बच्ची की जिद्द दवाई न पीने की थी, जैसे कि अकसर बच्चों में होती है. इसलिए साथ में बच्ची की मां भी उसे दवाई पिला रही थी.
बच्चे को दवाई पिलाने के उपरांत उसने उल्टी कर दी. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार दवाई पिलाने के समय बच्ची रो रही थी और रोते-रोते ऐसे चुप हुई कि कभी बोल ही नहीं पाई. आनन फानन में बच्ची सिविल अस्पताल भवारना में उपचार के लिए लाई गई. परंतु डाक्टरों ने धडक़न बंद होने के कारण उसे मृत घोषित कर दिया.
सिविल अस्पताल भवारना के शिशु रोग विशेषज्ञ डा. वरुणा ने बताया कि जब इस बच्ची को अस्पताल में लाया गया तो उसकी धडक़न न होने के कारण वह ब्राउट डैड ही थी तथा तमाम कोशिशों के उपरांत उसका सीपीआर भी किया गया, लेकिन वो रिवाइव नहीं हो पाई. इस बारे सिविल अस्पताल भवारना के वीएमओ डा. नवीन राणा ने छुट्टी पर होने के वावजूद बताया कि कई बार उल्टी हो जाने के कारण उसका पानी छाती या सांस लेने की जगह चले जाने के कारण भी ऐसी घटनाएं हो जाती हैं. जब
इस बारे में सीएमओ धर्मशाला डा. गुरदर्शन गुप्ता से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि उन्हें इस बारे जानकारी मिली है तथा उन्होंने स्वास्थ्य विभाग की टीम को, जिसमें डिप्टी सीएमओ, बीएमओ व अन्य डाक्टर को उस गांव में भेजा है, ताकि वस्तुस्थिती का पता चल सके. उन्होंने बताया कि उनकी जानकारी के अनुसार उस आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चे को दवाई पिलाने के उपरांत उसने उल्टी कर दी, जिस कारण यह घटना घटी. उन्होंने कहा कि फिर भी यह अनफारचुनेट है, जिसकी जांच पड़ताल की जाएगी.