<p>एक गर्भवती महिला को सिविल अस्पताल सुंदरनगर में साधारण डिलीवरी द्वारा बच्चे को जन्म देने के बाद अचानक तबीयत बिगड़ने पर पीजीआई चंडीगढ़ में दम तोड़ दिया है। हैरानी की बात यह है कि अगर प्रसूता को मेडिकल कॉलेज में मौजूद वेंटिलेटर सुविधा उपलब्ध हो गई होती तो आज वह भी अपने परिवार के साथ हंसी खुशी रह रही होती।</p>
<p>मामले में सुंदरनगर सिविल अस्पताल में तैनात स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. आलोक शर्मा द्वारा मीना देवी की सफल डिलीवरी करवाने के बाद अस्पताल में एडमिट किया गया था। अस्पताल में कुछ समय के बाद अधिक रक्त स्त्राव होने के कारण उसकी स्थिति नाजुक बन गई। इसके उपरांत डॉक्टर आलोक शर्मा द्वारा मेडिकल कॉलेज नेरचौक में स्त्री रोग विभाग में मीना देवी की बिगड़ रही हालत के बारे में जानकारी भी दी गई। लेकिन कोविड-19 अस्पताल होने के कारण मेडिकल कॉलेज से मीना देवी के केस को लेने से मना कर दिया गया।</p>
<p>इसके चलते स्त्री रोग विशेषज्ञ ने एमरजेंसी डयूटी को छोड़ते हुए बिना समय गवाए उक्त महिला के साथ जोनल अस्पताल मंडी पहुंचे। वहीं जोनल अस्पताल मंडी में मौजूद स्त्री रोग विशेषज्ञ डाक्टरों की टीम और डॉ. आलोक द्वारा महिला का सफल आप्रेशन भी कर दिया गया। लेकिन महिला को उस समय ऑप्रेशन के बाद वेंटिलेटर की दरकार थी और मेडिकल कॉलेज नेरचौक में वेंटिलेटर सुविधा उपलब्ध होने के बावजूद मीना देवी को न मिलने के कारण पीजीआई चंडीगढ़ पहुंचते ही उसकी मौत हो गई। बताया जा रहा है कि अगर वेंटिलेटर की सुविधा मृत महिला को नेरचौक मेडिकल कॉलेज में मिल गई होती तो महिला बच सकती थी।</p>
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