हिमाचल

वीरभूमि के 52 जवानों ने दी थी कारगिल विजय को प्राणों की आहूति

वीरभूमि के 52 जवानों ने दी थी कारगिल विजय को प्राणों की आहूति
देश के कुल चार परमवीर चक्र में दो हिमाचल के नाम
25 वें रजत वर्ष पर शहीदों को दी श्रद्धांजलि

धर्मशाला: 25 मई 1999 को शुरू हुए कारगिल युद्ध में हिमाचल के 52 जवानों ने जीवन का बलिदान दिया था। दो माह से भी अधिक समय तक चले करगिल युद्ध में भारतीय सेना ने अपने प्राणों की आहूतियां देकर दुश्मनों को देश की सीमा से खदेड़ कर आपरेशन विजय को सफल बनाया था। देश भर में कुल 527 योद्धा शहीद हुए.

जिसमें 52 वीरभूमि हिमाचल के थे। कारगिल विजय पर देश भर में सेना के सर्वोच्च सम्मान में कुल चार परमवीर चक्र मेडल घोषित किए गए, जिसमें दो हिमाचल के वीरों के नाम हैं। इसमें कैप्टन विक्रम बत्तरा मरणोपंरात और सुबेदार संजय कुमार जीवित को परमवीर चक्र से नवाजा गया।

कारगिल युद्ध में मिली जीत की याद में हर वर्ष 26 जुलाई को करगिल विजय दिवस मनाया जाता है। इसी कड़ी में आज शुक्रवार को सिल्वर जुबली यानि 25 वर्षों का विजय दिवस का समारोह राज्य युद्ध स्मारक धर्मशाला में भव्य तरीके से मनाया गया। इसमें ब्रेगडियर जीएस पूरी, स्टेशन कमांडर योल नौंवी कोर ने मुख्यातिथि के रूप में शिरकत करते हुए शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। जबकि जिला प्रशासन, सेना के अधिकारियों, पूर्व सैनिकों व विभिन्न संस्थाओं ने भी पुष्प अर्पित किये।

25 मई से 26 जुलाई 1999 तक हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध में हिमाचल के 52 रणबांकुरों ने शहादत पाई थी। इसमें कांगड़ा जिले के सबसे अधिक 15 जवान शहीद हुए थे। मंडी जिले से 11, हमीरपुर के सात, बिलासपुर के सात, शिमला से चार, ऊना से दो, सोलन और सिरमौर से दो-दो जबकि चंबा और कुल्लू जिले से एक-एक जवान शहीद हुआ था।

कारगिल युद्ध में देश के 527 वीर सैनिकों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी। उनमें वीरभूमि हिमाचल के 52 वीर जवानों ने शहादत दी थी। कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय सेना ने आपरेशन विजय शुरू किया, जिसमें 30 हज़ार भारतीय सैनिक शामिल हुए थे। थल सेना की सपोर्ट में भारतीय वायु सेना ने 26 मई 1999 को आपरेशन सफेद सागर शुरू किया, जबकि जल सेना ने कराची से पहुंचने वाले समुद्री मार्ग से पूर्ण सप्लाई रोकने के लिए अपने जहाजी बेड़े को अरब सागर में तैनात किया।

कारगिल युद्ध दो महीने से ज्यादा चला था। भारतीय सेनाओं ने अपनी पूरी बहादुरी से मातृभूमि में घुसे आक्रमणकारियों को मार भगाया, और 26 जुलाई को आखिरी चोटी पर भी विजय पा ली थी। इसी कारण इसी दिन को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। ब्रेगडियर जीएस पूरी, स्टेशन कमांडर योल नौंवी कोर ने बताया कि जवानों के शौर्य को याद करते हुए विजय दिवस पर शहादत पाने वाले शहीदों केा श्रद्धाजंलि अर्पित की गई, युवाओं को उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाइए।

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