धर्मशाला: नगरोटा बगवां के मधु मक्खी पालन केंद्र में चंबा से आए 30 मधु मक्खी पालकों को प्रशिक्षण दिया गया। यह जानकारी मुख्य वैज्ञानिक डा सुरिंद्र शर्मा ने बताया कि मधु मक्खी पालन में स्वरोजगार की असीम संभावनाएं तथा इसी को ध्यान में रखते हुए मधु मक्खी पालकों के लिए नियमित तौर पर प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जा रहे हैं ताकि मधु मक्खी पालक अपनी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ कर सकें।
इस अवसर पर शिवानी परमार ने चंबा से आये मधुमक्खी पालकों को एक एक डिब्बे के पास ले जाकर उनको मधुमक्खी के स्वभाव उनकी दिनचर्या उनके द्वारा किस प्रकार परपरंगन को संगृहत किया जाता है। कितनी दूरी से वो फूलों से इनको लाती हैं। उनकी अलग अलग फ्रेमों की जानकारी दी।
शिवानी परमार ने बताया कि शहद के अतिरिक्त मधुमक्खी का डंक यानी जहर भी अब एकत्रित किया जाता है। जिससे कई प्रकार के रोगियों का उपचार किया जाता है। इसका उपयोग कॉस्मेटिक में भी किया जाता है। एक विशेष उपकरण को मधुमक्खी के बॉक्स के पास रख दिया जाता है। जहां से उसको एकत्रित किया जाता है। इस अवसर पर वैज्ञानिक नेहा ने भी मधुमक्खी पालकों का मागदर्शन किया।
गौरतलब है कि कृषि विज्ञान केंद्र चंबा द्वारा किसानों की आय बढ़ाने तथा उनको आत्मनिर्भर बनाने के लिये एक सप्ताह 9 अक्टूबर से 15 अक्टूबर तक शैक्षणिक भ्रमण तथा बेसिक ट्रेनिंग करवाई जा रही है जिसके तहत की उक्त 30 मधुमक्खी पालकों का दल शुक्रवार को नगरोटा बगबां के मधु मक्खी पालन केंद्र में प्रशिक्षण के लिए आया था। इसके उपरांत सोलन से ही वर्चुअल माध्यम से विशेषज्ञों ने मधुमक्खी पालकों का मार्गदर्शन किया।
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