पी.चंद, शिमला।
देश की विभिन्न कर्मचारी यूनियनों द्वारा 28-29 मार्चो को राष्ट्रव्यापी हड़ताल करने जा रही हैं। माकपा ने ट्रेड यूनियनों की इस हड़ताल का समर्थन करते हुए आम जनता से केंद्र सरकार की मजदूर, किसान, कर्मचारी, आमजन और राष्ट्रविरोधी नीतियों को बदलने के लिए इस हड़ताल का हिस्सा बनने की अपील की है।
माकपा के राजय सचिव संजय चौहान ने कहा कि सरकार की इन्हीं नीतियों के कारण देश मे व्यापक बेरोजगारी, महंगाई व कृषि का संकट बढ़ रहा है। एक ओर सरकार गैस, पेट्रोल, डीज़ल और अन्य आवश्यक वस्तुओं पर टैक्स बढ़ाकर आम जनता पर आर्थिक बोझ डाल रही है और दूसरी ओर लाखों करोड़ रुपए की छूट बड़े कॉरपोरेट घरानों को दे रही है। जिससे आज अमीर और अमीर और गरीब और गरीब हो रहा है।
संजय चौहान ने कहा कि जबसे देश में बीजेपी की मोदी सरकार सत्तासीन हुई है देश मे बेरोजगारी, महंगाई और कृषि का संकट तेजी से बढ़ा है। सरकार के द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र जिसमे बैंक, बीमा, रेलवे, रक्षा क्षेत्र, बिजली, तेल कंपनियां, हवाई अड्डे, एयर इंडिया और अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को बेचने का कार्य तेजी से किया जा रहा है। आज मौद्रीकरण (NMP) के नाम पर देश के बुनियादी ढांचे जिसमे सड़क, रेलवे, हवाई अड्डे, खेल स्टेडियम, गैस पाइपलाइन आदि लाभ कमाने के लिए बिना किसी कीमत चुकाए निजी कंपनियों को सौंपा जाएगा।
उन्होंने कहा कि श्रम कानूनों को बदलकर श्रम सहिंता बनाए गए हैं जिससे मजदूरों का शोषण बड़े पैमाने पर बढेगा और कंपनियों और कॉरपोरेट घरानों को लाभ होगा। इसके साथ ही पेंशन और भविष्य निधि (PF) की दरों में निरंतर कटौती कर मजदूरों-कर्मचारियों की गाढ़ी कमाई और हकों पर डाका डाला जा रहा है। इन नीतियों के कारण देश में रोजगार समाप्त हो रहा है और बेरोजगारी तेज़ी से बढ़ रही है। नियमित रोजगार को समाप्त कर अब रोजगार केवल ठेका, आउटसोर्स या अंशकालिक आधार पर ही दिया जा रहा है और इससे मेहनतकश वर्ग का शोषण बढ़ रहा है। सरकार की इन नीतियों के कारण पेट्रोल-डीज़ल, रसोई गैस, खाद्य व अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में निरंतर वृद्धि की जा रही है।
संजय चौहान ने कहा कि हाल ही चुनाव के बाद घरेलू रसोई गैस के सिलेंडर की कीमत में 50 रुपये और पेट्रोल-डीज़ल की कीमतों में गत 5 दिनों में 3.20 रुपये की वृद्धि की गई है। इसके चलते व्यापक महंगाई बढ़ रही है और आम जनता को दो जून की रोटी अर्जित करना भी दूभर हो गई है। कृषि क्षेत्र में दी जाने वाली सब्सिडी में सरकार निरंतर कटौती कर रही है जिससे लागत वस्तुओं खाद, बीज, कीटनाशक, फफूंदीनाशक आदि के दामों में निरंतर वृद्धि की जा रही है और किसान को उसके उत्पाद का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है। किसान लंबे समय से सभी फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान करने व इसको कानूनी रूप से लागू करने के लिए आंदोलन कर रहा है। लेकिन सरकार इनकी मांगो को पूरा नहीं कर रही है। सरकार कृषि क्षेत्र को कॉरपोरेट घरानों के हवाले करने की नीतियों को लागू कर किसानों का हक़ छीन रही है।
उनका मानना है कि देश में मज़दूर, किसान और आमजन की व्यापक एकता व इनके द्वारा चलाए गए आंदोलन से ही सरकार की इन जनविरोधी नवउदारवादी नीतियों को पलटकर जनता को इस मौजूदा संकट से मुक्ति मिल सकती है।
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