राजधानी से सटे धामी क्षेत्र में दीपावली से अगले दिन सोमवार यानी आज पत्थरों की जमकर बरसात हुई। युवाओं ने एक दूसरे पर जमकर पत्थर बरसाए , मौका था क्षेत्र के ऐतिहासिक पत्थर मेले का। दोपहर करीब ढाई बजे राज दरबार में नरसिंह भगवान मंदिर तथा देव कूर्गण की पूजा अर्चना कर राज दरबार से राजवंश के उत्तराधिकारी कंवर जगदीप सिंह की अगुवाई में मेला स्थल तक शोभा यात्रा निकाली गई। स्कूल के समीप बने काली माता मंदिर में पूजा अर्चना की गई। इसके बाद राजवंश धमेड की ओर से पत्थर फेंकर ऐतिहासिक पत्थर मेले धामी की शुरूआत हुई।
धमेड और जमोगी दो समुदाय के मध्य खेले जाने वाले इस खेल में करीब 25 मिनट तक दोनों तरफ से पत्थरों की बौछार शुरू हुई। पहाड़ी व सड़क पर खड़ी दोनों टोलियों ने जमकर एक दूसरे पर पत्थर बरसाती करी। धमेड को ओर से पत्थर बरसाए जाने के बाद जमोगी के युवक पर पत्थर लगने के बाद आयोजकों ने खेल बन्द करने का इशारा किया। इसके बाद देखते ही देखते शोर मचा, ढोल नगाड़ों के साथ खेल चौरा में नाटी और दोनों टोलियों के नाचने गाने और झूमने का दौर शुरू हो गया। इसके बाद हुक्म से बह रहे रक्त से सती स्मारक पर तिलक किया गया, और इसके बाद हुक्म सहित आयोजन कमेटी सदस्यों ने काली माता मंदिर में माथा टेका।
कंवर जगदीप सिंह ने कहा कि सदियों से इस पर्व को मनाया जा रहा है जब मानव बलि दी जाती थी।धामी क्षेत्र की खुशहाली के लिए इस पर्व को मनाया जाता था।उन्होंने कहा कि जब धामी क्षेत्र के राजा राजा का देहांत हुआ था उस समय रानी ने सती हुई तो यह मान्यता रखी कि यहां पर दूर से पत्थर पत्थर बरसाए जाएंगे और जो उस पत्थरबाजी में घायल युवक का रक्त निलेगा उस रक्त को भद्र काली को रक्त चढ़ाया जाता है।मानव बलि के बाद यहां पर इस खेल का आयोजन किया जाता है।नरसिंह मंदिर में पूजा के पश्चात इस खेल को आरम्भ किया जाता है ।पहला पत्थर राजपरिवार की ओर से फेंक कर इस खेल को आरम्भ किया जाता है।जगदीप सिंह ने बताया कि लोग श्रद्धा और निष्ठा से इस इस परंपरा को निभाते हैं। इस पर्व में धामी, शहराह, कालीहट्टी, सुन्नी अर्की दाड़लाघाट, चनावग, पनोही व शिमला के आसपास के क्षेत्र के लोग भाग लेते हैं।
मानव बलि रोकने के लिए सती हुई रानी
मान्यता है कि धामी रियासत में मां भीमा काली के मंदिर में हर वर्ष इसी दिन परंपरा के अनुसार मानव बलि दी जाती थी। यहां पर राज करने वाले राणा परिवार की रानी इस बलि प्रथा को रोकना चाहती थी।इसके लिए रानी यहां के चौराहे में सती हो गई और नई पंरपरा शुरू की गई। इस स्थान का खेल का चौरा रखा गया है और यहां पर ही पत्थर का मेला मनाया जाता है। धामी रियासत के राज परिवार की अगुवाई में सदियों से यह परंपरा निभाई जा रही है।
NDA Victory in Maharashtra: भारतीय जनता पार्टी की जिला उपाध्यक्ष उषा बिरला ने महाराष्ट्र में…
Shimla Prison Fight: शिमला के कैथू जेल में शनिवार को दो कैदियों के बीच कंबल…
Free health camp Sujanpur: प्रयास संस्था के माध्यम से पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सांसद अनुराग…
Blog: Shivanshu Shukla Kangra Airport flight disruptions: देश विदेश के सैलानियों के लिए आकर्षण और…
DigiLocker issues for disabled: मंडी के बाबा भूतनाथ मंदिर परिसर में शनिवार को हिमालयन दिव्यांग…
Himachal Technical University convocation: हिमाचल प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय, हमीरपुर का पांचवां दीक्षांत समारोह राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी…