कोरोना ने जब सबकी जिंन्दगी को तहस नहस कर दिया। तब खेती बाड़ी और प्रॉपर्टी के काम में लगे जिला सोलन में चायल के किसान किशोर भी मंदी की मार से प्रभावित हुए। इसी बीच उन्हें गाय को पालने की सूझी। किसी ने सुझाव दिया कि साहीवाल गाय को पाल लें। बस फ़िर क्या था किशोर ने राजस्थान से 8 साहीवाल गाय और इसी नस्ल के बैल लाकर घर में बांध लिया। अब किशोर इन गायों का घी बेचकर अच्छी आमदनी कमा रहे हैं। ये गाय 10 से 20 लीटर दूध दिन का देती है।
किशोर का कहना है कि इस गाय का दूध 250 रुपये से 300 रुपये किलो के हिसाब से बिकता है। इस कीमत में कोई दूध खरीदने को तैयार नहीं होता इसलिए वह घी बेचते हैं। घी भी 4 हज़ार रुपए किलो के हिसाब से बिकता है। लेकिन घी के खरीददारी उन्हें मिल जाते हैं। गाय एक दुग्धकाल के दौरान औसतन 2270 लीटर दूध दे सकती है। बता दें कि इनके दूध में वसा की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है। आज जब देसी गाय की संख्या कम होती जा रही है, इसलिए वैज्ञानिक ब्रीडिंग के जरिए देसी गाय की नस्लों में सुधार करके उन्हें साहीवाल में बदलने पर जोर दे रहे हैं।
भारत में गाय की कई नस्लें पाई जाती हैं, जिनके द्वारा छोटे किसान और पशुपालक अपनी जीविका चलाते हैं। इनमें साहीवाल गाय को भी प्रमुख स्थान दिया गया है। इस गाय को पाकिस्तान के साहीवाल जिले से उत्पन्न माना गया है, लेकिन भारत में इस नस्ल की गाय को बहुत उपयुक्त माना गया है। अगर नर साहिवाल पीठ पर बड़ा कूबड़ होता है, जिनकी ऊंचाई लगभग 136 सेमी होती है। इसके अलावा मादा साहीवाल की ऊंचाई लगभग 120 सेमी के आस-पास होती है। नर गाय का वजन 450 से 500 किलो का होता है और मादा गाय का वजन 300 से 400 किलो तक का होता है।