GudiaCase: हिमाचल प्रदेश के बहुचर्चित गुड़िया रेप-मर्डर केस में चंडीगढ़ की सीबीआई कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। मामले में पुलिस हिरासत में आरोपी की हत्या के लिए जिम्मेदार पाए गए तत्कालीन IG जहूर एच जैदी समेत 8 पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। साथ ही, कोर्ट ने प्रत्येक दोषी पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
यह फैसला कोर्ट ने 18 जनवरी 2025 को दोषी करार दिए जाने के बाद सुनाया। दोषियों में ठियोग के तत्कालीन DSP मनोज जोशी, SI राजेंद्र सिंह, ASI दीप चंद शर्मा, ऑनरेरी हेड कांस्टेबल मोहन लाल, सूरत सिंह, हेड कांस्टेबल रफी मोहम्मद और कॉन्स्टेबल रानित शामिल हैं। हालांकि, शिमला के तत्कालीन SP डीडब्ल्यू नेगी को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया।
यह मामला 2017 में शिमला जिले के कोटखाई में सामने आया था, जब 16 वर्षीय छात्रा का रेप और हत्या हुई। पुलिस ने दो आरोपियों, राजू और सूरज, को हिरासत में लिया था। बाद में पुलिस हिरासत में सूरज की मौत हो गई, जिसका आरोप राजू पर लगाया गया।
हिरासत में हुई मौत को लेकर लोगों में भारी आक्रोश फैल गया और कोटखाई थाने को जलाने की कोशिश हुई। इसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने जांच सीबीआई को सौंप दी। सीबीआई ने इस मामले में पुलिस द्वारा किए गए टॉर्चर की पुष्टि की। एम्स के डॉक्टरों की रिपोर्ट में यह सामने आया कि सूरज के शरीर पर 20 से अधिक चोट के निशान थे।
सीबीआई जांच के बाद IG जैदी समेत अन्य अधिकारियों को हत्या और सबूत मिटाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। 582 दिन जेल में बिताने के बाद जैदी को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली, लेकिन ट्रायल जारी रहा।
2017 में शुरू हुई इस केस की सुनवाई के बाद, 2021 में गुड़िया मामले के मुख्य आरोपी अनिल कुमार उर्फ नीलू को भी उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।