Himachal2024: साल 2024 हिमाचल प्रदेश के लिए राजनीतिक और प्राकृतिक घटनाओं का यादगार वर्ष रहा। कांग्रेस सरकार को राजनीतिक संकटों से जूझना पड़ा, जबकि प्राकृतिक आपदाओं ने राज्य में भारी तबाही मचाई। प्रमुख घटनाओं में राज्यसभा चुनाव हारने से लेकर हाईकोर्ट द्वारा CPS हटाने के आदेश तक, हर घटना ने प्रदेश और देशभर में सुर्खियां बटोरीं।
संक्षेप में, यह वर्ष हिमाचल की राजनीति, प्राकृतिक आपदाओं और सामाजिक घटनाओं का मिश्रण रहा। कांग्रेस सरकार जहां सियासी संकट और विवादों से घिरी रही, वहीं प्राकृतिक आपदाओं ने राज्य की जनता के लिए मुश्किलें खड़ी कीं। अब एक-एक करके इन घटनाओं का विस्तृत विवरण पढ़ें।
68 सीटों वाली हिमाचल विधानसभा में 40 कांग्रेस विधायकों और 3 निर्दलीय समर्थकों के बावजूद कांग्रेस राज्यसभा चुनाव हार गई। कांग्रेस के 6 विधायकों ने बगावत कर भाजपा प्रत्याशी हर्ष महाजन को क्रॉस वोट दिया। लॉटरी सिस्टम के जरिए बीजेपी को जीत मिली।
राज्यसभा चुनाव के अगले दिन, कांग्रेस के 6 बागी विधायकों और 3 निर्दलीयों ने सुक्खू सरकार को कमजोर करने की कोशिश की। विधानसभा में हंगामे के बीच स्पीकर ने बीजेपी के 15 विधायकों को निलंबित कर बजट पारित करवाया।
28 फरवरी को वीरभद्र सिंह के बेटे और PWD मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने इस्तीफा देकर सुक्खू सरकार को झटका दिया। कांग्रेस हाईकमान ने कर्नाटक और हरियाणा के वरिष्ठ नेताओं को हिमाचल भेजा, जिससे संकट टल सका।
स्पीकर कुलदीप पठानिया ने एंटी डिफेक्शन कानून के तहत 6 बागी कांग्रेस विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया, जिससे इनकी सीटों पर उपचुनाव अनिवार्य हो गए।
6 बागी और 3 निर्दलीय विधायकों ने 23 मार्च को दिल्ली में बीजेपी जॉइन कर कांग्रेस सरकार की मुश्किलें बढ़ा दीं।
स्पीकर ने 5 जून को 3 निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे स्वीकार किए। इन विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया, लेकिन कोई राहत नहीं मिली।
हिमाचल में 1 जून को 4 लोकसभा और 6 विधानसभा सीटों पर चुनाव हुए। बीजेपी ने लोकसभा की सभी सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस ने विधानसभा की 4 सीटें अपने नाम कीं।
10 जुलाई को सीएम सुक्खू की पत्नी ने देहरा विधानसभा सीट से जीत हासिल की, जिससे कांग्रेस को थोड़ी राहत मिली।
रामपुर और कुल्लू के इलाकों में बादल फटने और बाढ़ ने 53 लोगों की जान ले ली। कई लापता लोगों का अब तक पता नहीं चल सका।
हिमाचल हाईकोर्ट ने 13 नवंबर को 6 मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्तियों को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया।
अगस्त-सितंबर में संजौली मस्जिद विवाद ने प्रदेश और देशभर में धार्मिक तनाव बढ़ा दिया।
मुख्यमंत्री के लिए ऑर्डर किए गए समोसे स्टाफ को परोसने के विवाद ने राष्ट्रीय स्तर पर सरकार की छवि खराब की।
21 सितंबर को जारी टॉयलेट टैक्स नोटिफिकेशन पर सरकार की आलोचना हुई। भाजपा ने इसे चुनावी मुद्दा बनाया।
दिसंबर में सीएम सुक्खू का एक वायरल वीडियो, जिसमें उन्हें जंगली मुर्गा ऑफर किया गया था, विवादों का कारण बना।
कांग्रेस की गुटबाजी बिलासपुर कार्यक्रम में खुलकर सामने आई, जब पार्टी अध्यक्ष प्रतिभा सिंह को मंच पर बोलने नहीं दिया गया।
एक युवा IPS अधिकारी ने सरकार को मुश्किल में डाला, जब उनके कुछ बयानों पर विपक्ष ने हमला किया।
समर सीजन में गर्मी ने 123 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया, जिससे किसानों और आम जनता को भारी नुकसान हुआ।
मानसून के दौरान भारी बारिश और भूस्खलन ने प्रदेश में भारी जान-माल का नुकसान पहुंचाया।
राज्य सरकार को वेतन और पेंशन देने के लिए भी केंद्र सरकार की मदद लेनी पड़ी।
राज्य में राजनीतिक अस्थिरता और आपदाओं के कारण पर्यटन क्षेत्र में 20% तक गिरावट दर्ज की गई।
दिसंबर में कांग्रेस ने अपने दो साल पूरे किए, लेकिन गुटबाजी और आलोचनाओं के कारण यह जश्न फीका रहा।
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