➤ हिमाचल को अब तक 800 करोड़ का नुकसान, केंद्र से नहीं मिला राहत पैकेज
➤ मुख्यमंत्री ने सातों भाजपा सांसदों से मदद की पैरवी करने को कहा
➤ ‘माई डीड’, संशोधित जमाबंदी और ई-रोजनामचा परियोजनाओं का शुभारंभ
पराक्रम चंद, शिमला
हिमाचल प्रदेश से हालत अभी सामान्य नहीं हो पाए हैं। राज्य को मानसून के शुरुआती दौर में ही 800 करोड़ का नुकसान हो चुका है। कई मकान बह गए हैं लोग भूमि हीन हो गए हैं। प्रदेश सरकार राहत बचाव के लिए युद्धस्तर पर काम कर रही है लेकिन जिन लोगों की जमीन चली गई उनको वन भूमि देने के लिए के केंद्र से मदद की दरकार है। हिमाचल के सात भाजपा सांसद दिल्ली चलें और केंद्र से भूमि हीन लोगों के लिए वन भूमि देने की पैरवी करें। ये बात मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शिमला में कही है।
सीएम ने कहा कि हिमाचल को 2023 में भी आपदा से करोड़ों का नुकसान हुआ था। जिसके लिए भी अभी तक केंद्र से कोई विशेष राहत पैकेज नहीं मिला है। अतः भाजपा सांसदों से आग्रह है कि वह उनके साथ दिल्ली चलकर केन्द्र से मदद मांगे। यदि वह अकेले जाना चाहें तब भी ऐतराज नहीं है। सिर्फ प्रदेश को आर्थिक मदद मिलनी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने बताया कि वह राजनीति करने के लिए आपदा ग्रस्त इलाकों में नहीं जा रहें है बल्कि लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए जा रहें हैं। सरकार ने बेहतर काम किया हम नहीं जनता कह रही है। सड़कें खोली जा रही है। लोगों को राहत पहुंचाने के हर प्रयास किए जा रहें हैं। आगामी हिमाचल कैबिनेट की बैठक में आपदाग्रस्त क्षेत्रों के लिए विशेष राहत पैकेज का प्रस्ताव लाया जाएगा। हर उजड़े घर को बसाया जाएगा। हर नुकसान की भरपाई की जाएगी।
उन्होंने बताया कि सरकार ने पिछली मर्तबा आपदाओं को देखते हुए नदी नालों से दस मीटर दूर घर बनाने का फैसला किया था। अब 50 से 100 मीटर की दूरी पर घर बने इसपर विचार किया जायेगा। हिमाचल में हाल ही में आई आपदा में अभी भी 34 लोग लापता हैं। सभी डीसी को आदेश दिए गए हैं कि लापता लोगो के मृत्यु प्रमाण पत्र बनाएं जाएं ताकि मुआवजा मिलने में प्रभावित परिवारों को मुश्किल न पेश आए।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने बताया कि राजस्व विभाग में नागरिकों के लिए नई शुरुआत की है। जिसके तहत लोगों को अपनी भूमि की रजिस्ट्री करवाने के लिए केवल एक बार कार्यालय जाना होगा। वे किसी भी समय और कहीं से भी भूमि पंजीकरण के लिए आवेदन कर सकेंगे। जिससे उनका समय और श्रम बचेगा। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने आज ‘माई डीड’ एनजीडीआरएस (नेशनल जेनरिक डॉक्यूमेंट रजिस्ट्रेशन सिस्टम) पायलट प्रोजेक्ट का शुभारंभ भी किया। इस पहल से जमीन की रजिस्ट्री की प्रक्रिया को और अधिक सरल और सुविधाजनक बनाया जा सकेगा।
बिलासपुर जिले की बिलासपुर सदर तहसील, जिला चम्बा की डलहौजी तहसील, जिला हमीरपुर की गलोड़ तहसील, जिला कांगड़ा की जयसिंहपुर तहसील, जिला कुल्लू की भूंतर, जिला मंडी की पधर तहसील, जिला शिमला की कुमारसेन, जिला सिरमौर की राजगढ़, जिला सोलन की कंडाघाट तहसील तथा जिला ऊना की बंगांणा तहसील में इस परियोजना का शुभारम्भ किया गया है।
इसके अलावा मुख्यमंत्री ने जमाबंदी, ई-रोजनामचा वाक्याती और कारगुजारी पहलों का भी शुभारंभ किया, ताकि राजस्व विभाग के कार्यों को और बेहतर बनाया जा सके और लोगों के लिए पंजीकरण व अन्य प्रक्रियाएं प्रक्रियाएं सरल व सुगम हो सकें।



