राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों में गुणवत्ता के साथ-साथ प्रौद्योगिकी के उपयोग पर विशेष बल दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को उद्यमिता की भावना को बढ़ावा देने और शोध एवं नवाचार के माध्यम से आर्थिक आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ना चाहिए।
राज्यपाल ने यह बात आज यहां राजभवन में राज्य के छह सरकारी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही। बैठक में शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर भी उपस्थित थे।
राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालयों को उत्कृष्टता की दिशा में निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए। विद्यार्थियों को दी जाने वाली शिक्षा विषय-वस्तु में मजबूत होने के अलावा वैश्विक परिदृश्य की उभरती मांगों के लिए भी प्रासंगिक होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों के लिए तैयार किए गए पाठ्यक्रम निरंतर अपडेट किए जाने चाहिए, ताकि विद्यार्थियों को विभिन्न क्षेत्रों में हो रही प्रगति के बारे में जानकारी मिलती रहे। उन्होंने कहा कि छात्रों के समग्र विकास के लिए शैक्षिक ज्ञान, शारीरिक शिक्षा के साथ-साथ खेल-स्पर्धाओं और अन्य गतिविधियों के लिए भी तैयार किया जाना चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि आज के तकनीकी युग में विश्वविद्यालयों के डिजिटलीकरण की भी आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सभी विश्वविद्यालयों को स्मार्ट परिसर बनाने की दिशा में कार्य करना चाहिए, जहां सामान्य शिक्षा के साथ-साथ छात्रों को प्रौद्योगिकी शिक्षा की भी सुविधा मिल सके। उन्होंने ऑनलाइन शिक्षण प्लेटफार्म से लेकर डिजिटल पुस्तकालयों और प्रशासन तक, इन उपकरणों को अपनाने पर बल दिया। यह हमारे विश्वविद्यालयों की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण साबित होगा।
उन्होंने कहा कि उचित रणनीति आर्थिक संसाधनों में आत्मनिर्भरता, उद्योगों के साथ साझेदारी स्थापित करने, पूर्व छात्रों के नेटवर्क को सुदृढ़ करने और विश्वविद्यालयों के लिए संसाधन विकसित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उन्होंने कहा कि छात्रों और शिक्षकों के बीच उद्यमशीलता की भावना को बढ़ावा देने से अनुसंधान और नवाचारों का व्यावसायीकरण हो सकता है, जो हमारे संस्थानों की आर्थिक आत्मनिर्भरता में और अधिक योगदान देगा।
शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने कहा कि राज्य सरकार शिक्षा में गुणात्मक सुधार लाने के लिए कृतसंकल्प है और इस दिशा में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में शैक्षणिक संस्थानों को पूर्व निर्धारित मापदंडों के अनुसार चरणबद्ध तरीके से ‘शैक्षणिक संस्थानों के समूह’ के रूप में विकसित किया जा रहा है। राज्य सरकार शिक्षा क्षेत्र में 9.56 करोड़ रुपये खर्च कर रही है।
उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों में छात्रों के नामांकन में कमी आई है और इसे सुधारने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश की अधिकांश जनसंख्या कृषि और बागवानी पर निर्भर है और फसलों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए नई तकनीक और नवाचार अपनाने से आर्थिकी को और मजबूत किया जा सकता है। राज्य के कृषि और बागवानी विश्वविद्यालयों की इस दिशा में महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
इससे पूर्व, राज्यपाल के सचिव राजेश शर्मा ने बैठक में राज्यपाल और अन्य गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया और कार्यवाही का संचालन भी किया। सचिव शिक्षा राकेश कंवर ने भी राज्य में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में सुधार के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों की जानकारी दी।
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला के कुलपति प्रो. एस.पी. बंसल, डॉ. वाईएस परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेश्वर चंदेल, सरदार पटेल विश्वविद्यालय मंडी के कुलपति प्रो. ललित कुमार अवस्थी, हिमाचल प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय हमीरपुर के कुलपति प्रो. शशि धीमान, अटल मेडिकल विश्वविद्यालय मंडी के डॉ. सुरेन्द्र कश्यप तथा चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के डॉ. नवीन कुमार ने भी इस अवसर पर पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से अपने बहुमूल्य सुझाव दिए।
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