हिमाचल प्रदेश के आउटसोर्स कर्मचारियों ने सैकड़ों की संख्या में विधानसभा आकर ज़ोरदार नारेबाजी की। आउटसोर्स कर्मचारी स्थाई नीति बनाने को लेकर लागातार मांग उठा रहे हैं। संख्या बल के दम पर आउटसोर्स कर्मियों को उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री उनके लिए कोई बढ़ी घोषणा कर देंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
मौजूदा वक़्त में हिमाचल प्रदेश में 37 हज़ार के करीब आउटसोर्स कर्मी हैं, जिनको क़रीब 125 कंपनियां संचालित करती हैं। इनमें से कई कंपनियों के पास तो कर्मचारियों का डेटा तक नहीं है। ऐसे में कर्मचारी अपने लिए स्थाई नीति की मांग के साथ -साथ 26 हज़ार न्यूनतम वेतन की मांग उठा रहे हैं।
आउटसोर्स कर्मचारी संघ के अध्यक्ष शैलेंद्र शर्मा ने कहा कि पिछले कई वर्षों से आउटसोर्स कर्मचारियों का शोषण हो रहा है। बहुत कम वेतन में कर्मचारी विभागों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। कंपनियां कर्मचारियों को पूरा लाभ नहीं दे रही हैं। सरकार ने बजट सत्र के दौरान स्थाइ नीति बनाने का आश्वासन दिया था लेकिन सरकार ने केवल साढ़े दस हजार न्यूनतम वेतन देने को घोषणा की है जबकि 26 हजार न्यूनतम वेतन होना चाहिए।
वहीं, इस पर मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने बताया कि सरकार ने आउटसोर्स कर्मियों का वेतन बढ़ाया है। इसके साथ इनकी मांगों को लेकर महेंद्र सिंह ठाकुर के अध्यक्षता में कमेटी भी गठित की है। जो इनकी मांगो के सभी पहलुओं पर विचार कर रही है।
यूक्रेन में फंसे छात्रों पर बोले सीएम
मुख्यमंत्री ने ये भी कहा कि यूक्रेन में अब हिमाचल का कोई भी विद्यार्थी नहीं है। सभी बच्चे अब हिमाचल लौट आए है। आम आदमी पार्टी के हिमाचल में आने पर मुख्यमंत्री ने बताया कि अभी तो शुरुआत है। पहाड़ की चढ़ाई अभी बड़ी मुश्किल है।
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