Follow Us:

घनश्याम भारद्वाज ने ताइक्वांडो में रचा इतिहास, हिमाचल को मिला पहला नैशनल गोल्ड

➤ हिमाचल के घनश्याम भारद्वाज ने नैशनल डैफ्फ स्पोर्ट्स में गोल्ड जीता
➤ ताइक्वांडो पूमसे कैटेगरी में यह प्रदेश का पहला राष्ट्रीय स्वर्ण पदक
➤ शिमला में हुआ ऐतिहासिक स्वागत, कोच विनोद कुमार को दिया श्रेय



हिमाचल प्रदेश ने राष्ट्रीय स्तर पर एक बार फिर खेल जगत में अपनी उपस्थिति का दमदार परिचय दिया है। युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त बधिर खिलाड़ियों की शीर्ष संस्था ऑल इंडिया स्पोर्ट्स काउंसिल ऑफ डैफ्फ के तत्वावधान में आयोजित 27वीं नैशनल सीनियर डैफ्फ स्पोर्ट्स चैंपियनशिप्स में हिमाचल के खिलाड़ी घनश्याम भारद्वाज ने स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया है।

यह चैंपियनशिप उत्तर प्रदेश के कानपुर में 20 से 22 जून, 2025 तक आयोजित की गई थी, जिसमें देशभर के 17 राज्यों से लगभग 250 बधिर खिलाड़ियों ने भाग लिया। घनश्याम भारद्वाज ने ताइक्वांडो सीनियर पूमसे इंडिविजुअल कैटेगरी में शानदार प्रदर्शन करते हुए हिमाचल प्रदेश के लिए स्वर्ण पदक हासिल किया। यह ताइक्वांडो खेल का प्रदेश में अब तक का पहला राष्ट्रीय गोल्ड मैडल है।

आज जब स्वर्ण पदक विजेता खिलाड़ी शिमला पहुंचे, तो ऐतिहासिक रिज मैदान पर उनका भव्य स्वागत किया गया। हिमाचल प्रदेश ताइक्वांडो एसोसिएशन के अध्यक्ष, सचिव योगेश्वर, तकनीकी निदेशक लक्ष्मी मुथलिआर समेत अन्य पदाधिकारी, खिलाड़ी और खेल प्रेमियों ने उन्हें बधाइयों से नवाजा।

घनश्याम भारद्वाज ने इस जीत को अपने कोच विनोद कुमार को समर्पित किया, जिन्हें वे हिमाचल में आधुनिक ताइक्वांडो खेल के संस्थापक मानते हैं। उन्होंने कहा कि विनोद कुमार ने उन्हें बचपन से प्रशिक्षण देकर हर मोड़ पर हौसला बढ़ाया और उनकी बधिरता के बावजूद उन्हें उच्च मुकाम तक पहुंचाया। उन्होंने अपने परिवार, माता-पिता, पत्नी, पुत्र, और हिमाचल प्रदेश ताइक्वांडो एसोसिएशन, डीडीटीजी विभाग, प्रशिक्षण साथियों कमल किशोर, राजपाल, और कोच विश्वास कुमार सिंह का भी आभार प्रकट किया, जिन्होंने उनके अभ्यास में दिन-रात मेहनत की।

कोच विनोद कुमार ने बताया कि यह स्वर्ण पदक घनश्याम को अंतरराष्ट्रीय मंच तक ले जा सकता है, जिससे न केवल प्रदेश का नाम ऊंचा होगा, बल्कि बधिर खिलाड़ियों को नई प्रेरणा भी मिलेगी। उन्होंने कहा कि उनका लक्ष्य खिलाड़ियों के आत्मविश्वास को बढ़ाना, सामाजिक समावेशिता को बढ़ावा देना और उन्हें राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय अवसर दिलाना है। कोच ने घनश्याम को भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं।