हिमाचल

चौकीदार की बेटी ने किया कमाल, 12वीं की परीक्षा में टॉप-10 में पाया स्थान

मंडी: होनहार विरवान के होत चिकने पात, की कहावत को चरितार्थ करते हुए मंडी शहर के विश्वकर्मा मंदिर परिसर के चौकीदार संदीप कुमार की बेटी निशा ने प्रदेश स्कूली शिक्षा बोर्ड की 12 वीं कक्षा के विज्ञान संकाय के जो परिणाम शनिवार को घोषित हुए हैं, उनमें पहले दस स्थानों में जगह पाकर सबको चौंका दिया है। निशा मंडी शहर के रामनगर स्थित स्वामी विवेकानंद वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला की छात्रा थी।

निशा के पिता चौकीदार हैं और उन पर परिवार चार बच्चों के पालन पोषण की जिम्मेवारी हैं जिसमें निशा सबसे बड़ी है। उसकी एक छोटी बहन व दो छोटे भाई भी हैं। संदीप कुमार चौकीदारी करने के साथ साथ घर का खर्चा पूरा करने के लिए ऑटो रिक्शा भी चलाते हैं और दिन रात मेहनत करके अपने बच्चों को पढ़ा रहे हैं। उसकी मां गृहणी है जो बच्चों की शिक्षा को लेकर हर समय गंभीर रहती हैं।

शनिवार को उनका सीना चौड़ा हो गया जब बेटी निशा बोर्ड परीक्षा में 800 में से 485 यानि 97 प्रतिशत अंक हासिल करके प्रदेश भर में आठवां स्थान हासिल किया। निशा ने दसवीं कक्षा में भी मेरिट में टॉप टेन में शामिल थी तथा पांचवां स्थान हासिल किया था। उसका डाक्टर बनने का सपना है और इसके लिए उसने कोचिंग लेना शुरू कर दिया है। उसके पिता ने बताया कि दसवीं व 12 में मेरिट में आने की यह उपलब्धि उसकी बेटी ने बिना किसी कोचिंग से ही पढ़ाई करके अपने स्कूल प्रिंसिपल वीरेंद्र गुलेरिया व शिक्षकों की मेहनत, मार्गदर्शन से हासिल की है।

निशा ने भी अपनी इस उपलब्धि का श्रेय प्रिंसिपल, शिक्षकों व माता पिता के मार्गदर्शन को दिया है। संदीप कुमार अपने बच्चों को सही शिक्षा देने के लिए दिन रात मेहनत करते हैं। उन्होंने साबित कर दिखाया है कि अमीर और पैसे वाले लोग ही अपने बच्चों को निजी स्कूलों में नहीं पढ़ा सकते, मेहनतकश लोग भी ऐसा करके बच्चों को टॉपर बना सकते हैं। बेटी की इस उपलब्धि पर संदीप कुमार को बधाईयां मिल रही हैं और शाबाशी भी मिल रही है।

संदीप कुमार ने बताया कि उनकी एक ही इच्छा है कि बेटी डाक्टर बन जाए। 15 जुलाई को उसका टैस्ट है। गौरतलब है कि टॉपर बनी बेटी के पिता संदीप कुमार एक चौकीदार व ऑटोचालक होते हुए भी ईमानदारी की मिसाल है। उनके ऑटो में कई बार यात्रियों की महंगी चीजें भूल गई जिन्हें उन्होंने मीडिया या प्रशासन के माध्यम से असली मालिक तक पहुंचाया है। शायद यह उनकी ईमानदारी का ही फल है कि उनकी बेटी इतने अभावों के बावजूद भी टॉपर बनी हैं। प्राचार्य वीरेंद्र गुलेरिया व परिजनों से निशा के उज्जवल भविष्य व उसने जो भी मन में ठान रखा है उसके पूरा हो जाने को लेकर शुभकामनाएं दी हैं।

Balkrishan Singh

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