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आंगनबाड़ी वर्करज के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रही जयराम सरकार : सीटू

पी. चंद, शिमला |

आंगनबाड़ी वर्कर एवं हेल्पर यूनियन से संबंधित सीटू ने आंगनबाड़ी वर्कर से भेदभाव करने के आरोप लगाए हैं। सीटू का कहना है कि सरकार आंगबाड़ी वर्करज को घर-घर जाकर कोरोना के एक्टिव केस का पता लगाने के लिए बाध्य तो कर रही है, लेकिन उनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड भी किया जा रहा है। उन्हें इस काम के लिए सरकार की तरफ से किसी भी तरह की कोई मेडिकल किट उपलब्ध नहीं करवाई गई है। न ही इन कर्मचारियों को किसी तरह की कोई बीमा सुविधा दी जा रही है। इसके अलावा उन्हें इस काम के लिए सरकार कोई उचित दैनिक आर्थिक मदद या दैनिक भत्ता दे रही है।

इस संबंध में आज सीटू ने वीरवार को निदेशक, सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता विभाग, हिमाचल सरकार को एक पत्र भेजा है। साथ ही इसकी एक प्रतिलिपी मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को भी भेजी है। यूनियन की अध्यक्ष नीलम जसवाल और महासचिव राजकुमारी ने बताया कि कोरोना महामारी के कारण पैदा हुए महासंकट के कारण आज देश व प्रदेश की जनता काफी परेशानी में है। महामारी के फैलाव को रोकने व इस पर अंकुश लगाने के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार ने स्वास्थ्य कर्मियों के साथ ही आशा वर्करज को भी डयूटी पर तैनात किया है। समय बीतने के साथ बढ़ते खतरे के मध्यनजर इस प्रक्रिया में आंगनबाड़ी वर्करज को भी शामिल किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि प्रशासन द्वारा सिरमौर, ऊना और अन्य जिलों में लिखित में यह अधिसूचना जारी कर दी है कि इस प्रक्रिया में आंगनबाड़ी वर्करज की भी सेवाएं ली जाएंगी। आंगनबाड़ी वर्करज पहले भी दर्जनों तरह के कार्य करके समाज के प्रति अपनी भूमिका को बेहद संवेदनशील तरीके से निभाते रहे हैं और वर्तमान में भी सरकार की सबसे ज़्यादा योजनाओं को जनता के घर द्वार पहुंचाने का कार्य आंगनबाड़ी वर्कर ही करते हैं।

यूनियन का मानना है कि इस आपातकालीन स्थिति में अगर प्रशासन कोरोना की डोर टू डोर मैपिंग के कार्य में आंगनबाड़ी वर्करज को शामिल करता है तो वर्करज की सेहत व परिवार का ख्याल रखना भी आईसीडीएस विभाग और प्रदेश सरकार की जिम्मेवारी बनती है। परन्तु खेद का विषय है कि सरकार व विभाग अपनी पुरानी परंपरा के अनुसार ही इस बेहद संकटपूर्ण स्थिति व कार्य में भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से भेदभाव जारी रखे हुए हैं।

आंगनबाड़ी वर्करज को कार्य करने के लिए बाध्य तो किया जा रहा है परन्तु उनकी सेहत से खिलवाड़ जारी है। उन्हें सरकार की ओर से कोई मेडिकल किट उपलब्ध नहीं करवाई गई है। उन्हें कोरोना से निपटने के कार्य में लगे अन्य कर्मचारियों की तरह बीमा सुविधा भी उपलब्ध नही करवाई गई है। उन्हें इस कार्य को करने के लिए सरकार की ओर से कोई उचित दैनिक आर्थिक मदद अथवा दैनिक भत्ता भी नहीं दिया  जा रहा है।

यूनियन सरकार और विभाग से मांग करती है कि कोविड-19 मइक्रोप्लानिंग अथवा कोरोना मैपिंग डयूटी करने के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को उचित आधुनिक मेडिकल किट उपलब्ध करवाई जाए। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को कोविड-19 माइक्रोप्लानिंग अथवा कोरोना मैपिंग के दौरान डयूटी करने पर 100 रुपये के बजाए 300 रुपये दैनिक भत्ता दिया जाए क्योंकि पूरा दिन कार्य करने के दौरान उनका भोजन,परिवहन व अन्य मदों पर काफी खर्चा आता है। उनका स्वास्थ्य कर्मियों व आशा की तर्ज़ 50 लाख रुपये का बीमा किया जाए। आशा है कि आप इस संदर्भ में उचित कार्रवाई अमल में लाएंगे।