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कुल्लू: यहां 47 फीसदी महिलाएं पीरियड में यूज नहीं करती सेनेटरी नेपकिन, सर्वे में हुआ खुलासा

<p>मासिक धर्म के दौरान महिलाएं और किशोरियां स्वच्छता का ध्यान रखकर न केवल बेहतर जीवन जी सकती हैं, बल्कि कई गंभीर बीमारियों से भी बच सकती हैं। महीने के उन दिनों में छोटी सी सावधानी महिलाओं और किशोरियों की जिंदगी में बहुत बड़ा बदलाव ला सकती है। लेकिन, जागरूकता के अभाव में कुल्लू जिले में महिलाओं का एक बहुत बड़ा वर्ग मासिक धर्म स्वच्छता के प्रति अभी भी सजग नहीं है। जिला में हाल ही में करवाए गए एक सर्वे में इसकी पुष्टि हुई। इस सर्वे में बहुत ही चैंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। सर्वे के मुताबिक जिले में लगभग 47 प्रतिशत महिलाएं मासिक धर्म के दौरान सेनेटरी नेपकिन का प्रयोग ही नहीं कर रही हैं। जिला में इस तरह की स्थिति को देखते हुए जिलाधीश ने एक अनूठी पहल करके महिलाओं और किशोरियों को मासिक धर्म स्वच्छता के प्रति जागरुक करने के लिए एक व्यापक अभियान शुरू करने का निर्णय लिया है।</p>

<p>डा. ऋचा ने स्वयं इस अभियान की रूपरेखा तैयार करके इसे एक जन आंदोलन का रूप देने का संकल्प लिया है। उन्होंने बताया कि इस अभियान को &lsquo;संवेदना&rsquo; नाम से आरंभ किया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश रैडक्रॉस सोसाइटी की उपाध्यक्ष डा. साधना ठाकुर 22 दिसंबर को सुबह 10 बजे कुल्लू के अटल सदन में आयोजित किए जाने वाले एक कार्यक्रम में विधिवत रूप से &lsquo;संवेदना&rsquo; अभियान को लांच करेंगी। डा. ऋचा ने बताया कि इस अभियान के तहत जिले भर में एक व्यापक मुहिम चलाई जाएगी तथा महिलाओं एवं किशोरियों को मासिक धर्म स्वच्छता और सेनेटरी नेपकिन के प्रयोग के प्रति जागरुक किया जाएगा।<br />
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<span style=”color:#c0392b”><strong>स्कूलों में नियुक्त होंगी नोडल शिक्षिकाएं</strong></span></p>

<p>उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग आशा वर्करों के माध्यम से केवल एक रुपये में सेनेटरी पैड मुहैया करवा रहा है। इस कार्यक्रम के तहत जिले के सभी स्कूलों में नोडल शिक्षिकाएं या शिक्षक नियुक्त किए जाएंगे। इन शिक्षक-शिक्षिकाओं को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा तथा उन्हें मासिक धर्म स्वच्छता से संबंधित पठन-सामग्री या पेंफलेट एवं सेनेटरी पैड का स्टाॅक भी उपलब्ध करवाया जाएगा। इससे किशोरियां स्कूल स्तर पर ही मासिक धर्म स्वच्छता के प्रति जागरुक होंगी तथा नोडल शिक्षिकाओं के साथ अपनी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी साझा कर सकेंगी।</p>

<p><span style=”color:#c0392b”><strong>स्त्री रोग विशेषज्ञ ग्रामीण क्षेत्रों में लगाएंगे कैंप</strong></span></p>

<p>ग्राम स्तर पर आंगनबाड़ी और आशा वर्कर्स महिलाओं को सेनेटरी नेपकिन के प्रयोग के लिए प्रेरित करेंगी। अभियान के दौरान जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य विभाग के स्त्री रोग विशेषज्ञ डाॅक्टर महिलाओं के लिए मेडिकल चैकअप कैंप लगाएंगे। इन कैंपों में ग्रामीण महिलाएं बेझिझक गाईनी से संबंधित अपनी स्वास्थ्य समस्याओं का उपचार करवा सकेंगी।</p>

<p><span style=”color:#c0392b”><strong>सेनेटरी नेपकिन के सही निष्पादन पर भी दिया जाएगा बल</strong></span></p>

<p>डा. ऋचा वर्मा ने बताया कि &lsquo;संवेदना&rsquo; अभियान के दौरान महिलाओं को सेनेटरी नेपकिन के प्रयोग के लिए प्रेरित करने के साथ-साथ नेपकिन के सही निष्पादन पर भी विशेष बल दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि कुल्लू जिले के सभी बड़े अस्पतालों और निजी स्कूलों में सेनेटरी नेपकिनों के सही निष्पादन के लिए इंसीनरेटर लगाए जा रहे हैं। सरकारी शिक्षण संस्थानों में भी विभिन्न माध्यमों से इंसीनरेटर लगाने की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। जिलाधीश ने बताया कि ग्राम स्तर पर सेनेटरी नेपकिनों के निष्पादन की व्यवस्था करने के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट के तहत कुछ पंचायतों या महिला मंडलों को मिट्टी के पारंपरिक तंदूर जैसे ईको-फ्रेंडली इंसीनरेटर दिए जाएंगे। इनके माध्यम से सेनेटरी नेपकिनों का सही निष्पादन किया जा सकता है। &nbsp;</p>

<p><span style=”color:#c0392b”><strong>महिलाओं को कई गंभीर बीमारियों से बचाता है सेनेटरी नेपकिन</strong></span></p>

<p>डा. ऋचा वर्मा ने कहा कि मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता का ध्यान न रखना तथा सेनेटरी नेपकिन का प्रयोग न करना, कई महिलाओं के लिए घातक सिद्ध हो सकता है। उन्होंने बताया कि मासिक धर्म के दौरान लापरवाही बरतने पर महिलाओं में संक्रमण की आशंका कई गुणा बढ़ जाती है। इस संक्रमण से महिलाओं को गर्भाशय का कैंसर या यौन संक्रमित रोग हो सकते हैं। इससे महिलाओं में बांझपन की समस्या भी हो सकती है। लिहाजा, महिलाओं और किशोरियों के लिए मासिक धर्म के दौरान सेनेटरी नेपकिन का प्रयोग अत्यंत आवश्यक है।</p>

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