पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन के दूसरे दिन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा कि शताब्दी वर्ष के 100 साल की यात्रा में कई निर्णय किए हैं। अब परिवर्तन का समय आ गया। विधानमंडलों की भूमिका बढ़ गई है। जनप्रतिनिधियों की जनता के प्रति जवाबदेही भी बढ़ गई है। इसलिए अपनी भूमिका के बारे में निर्णय करने होंगे। सभी दलों को चर्चा कर सदनों को चलाने के लिए अनुशासन पर बल देना ही होगा।
उन्होंने कहा कि विधान मंडलों को चलाने के लिए कुछ निर्णय लिए है इन बदलावों से जिम्मेदारियां बढ़ेंगी। आज़ादी के 100 साल पूरा होने पर इन विधानमंडलों का क्या स्वरूप हो इस पर चर्चा की ज़रूरत है। सूचना प्रसार के युग में ये भी निर्णय लिया है कि 2022 तक देश की जनता विधानमंडल की कार्यवाही देख सकेगी। संसदीय समितियों के कार्यक्रमों में भी बदलाव लाया जाए ताकि जनता के लिए नई राह लाई जा सके। लंबित मामलों को समयबद्ध तरीक़े से निपटाया जा सके। सदन सुचारू रूप से चले सार्थक चर्चा हो जनता के प्रति ये संस्थाए जवाबदेह बने इस संकल्प के साथ यहां से जाना है।
पेपरलेस पर राज्यपाल ने दिया बल
विधानमंडल का क्षेत्र सार्थक चर्चा के लिए होता है। इस देश की परम्पराओं के अनुरूप सबको बोलने का अवसर दिया जाए और सुनने की भी दृढ़ता होनी चाहिए। संवाद ज़रूरी है। हमें टेक्नोसेमी होने की ज़रूरत है। पेपरलेस व लेस पेपर विधानसभा से पर्यावरण को भी फ़ायदा मिला। गोवा जैसे 40 सदस्यों की विधानसभा में 10 दिन के पेपरलेस सत्र में 1000 से ज़्यादा पेड़ कटने से बचाए गए।
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