मंडी, 25 जुलाई: बीते साल ब्यास नदी ने तबाही मचाई थी। इस बार भी यह सिलसिला शुरू हो चुका है मगर दरिया किनारे खनन करके तबाही को सरेआम निमंत्रण देकर लोगों को खतरे में डालने वाले बाज नहीं आ रहे हैं। बिंदरावणी में फोरलेन की सुरंगों से निकला पत्थर चूरा व मक्क डंप किया था जो अब पूरी तरह से सैट हो चुका है तथा बाढ़ को रोकने का काम कर रहा है। अब जबकि बरसात चल रही है, ब्यास नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है तो कुछ लोग जेसीबी को नदी किनारे ले जाकर वहां से इस मक्क के पहाड़ को खोद कर उसे टिप्परों में भर कर बेचने के लिए ले जा रहे हैं।
इससे नदी किनारे बड़ा कटाव हो गया है और नदी का बहाव भी यहां से बदल जाने का खतरा बन गया है। इसके ठीक सामने जल शक्ति विभाग को पंप हाउस व सिंचाई एवं पेयजल योजनाओं के भंडारण टैंक हैं। ये योजनाएं बीती बरसात में बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई थी जिन्हें लाखों रूपए खर्च करके कुछ ही महीने पहले बहाल किया गया है। अब इस तरह फिर से ब्यास नदी के निशाने पर ये आ सकती हैं। हैरानी यह है कि आपदा प्रबंधन को लेकर बड़े बड़े दावे करने वाले प्रशासन व हर तरह की कटिंग पर रोक लगाने के बावजूद भी यह काम धड़ल्ले से हो रहा है। यह क्षेत्र मंडी नगर निगम के वार्ड नंबर चार नेला के तहत आता है और यहां पर प्रशासन के लोगों का आना जाना अक्सर लगा रहता है। हैरानी यह है कि प्रशासन व खनन विभाग इससे पूरी तरह से बेखबर है।
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