हिमाचल प्रदेश के गयू गांव में एक 550 साल पुरानी बौद्ध लामा की ममी है. इस ममी के बारे में कहा जाता हैं कि इस ममी के बाल और नाखून आज भी बढ़ रहे हैं.
समाधि में लीन इस ममी में जान है. गयू गांव स्पीति घाटी के ठंडे रेगिस्तान में समुद्र तल से करीब 10,499 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. भारत चीन सीमा के पास मौजूद यह गांव अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए जाना जाता है. लेकिन इस गांव में 550 साल पुरानी ममी को देखने के लिए दुनियाभर से लोग आते हैं.
लाहौल स्पीति घाटी की ऐतिहासिक ताबो मठ से करीब 50 किमी दूर भारत-चीन सीमा पर स्थित गयू गांव साल में 6-8 महीने बर्फ से ढके रहने की वजह से दुनिया से कटा रहता है. यहां के लोगों की इस ममी के प्रति गूढ़ आस्था है.
इस ‘ममी’ को लोग भगवान समझकर पूजते हैं. लोग इसे जिंदा भगवान मानते हैं। इस ‘ममी’ का रहस्य आज भी बरकरार है. कहा जाता है यह ममी तिब्बत से गयू गांव में आकर तपस्या करने वाले लामा सांगला तेनजिंग की है.
भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) को सड़क निर्माण कार्य के दौरान यह ममी मिली थी. क्योंकि 1975 में यहां आए भूकम्प में यह ममी जमीन में दफ़न हो गयी थी. 1995 में आईटीबीपी के जवानों को सड़क बनाते समय खुदाई में यह ममी फिर मिल गई.
कहते हैं कि खुदाई के समय इस ममी के सिर पर कुदाल लगने से खून तक निकल आया था. ममी पर इस ताजा निशान को आज भी देखा जा सकता है. 2009 तक यह ममी ITBP के कैम्पस में रखी हुई थी. बाद में इस ममी को गयू गांव में स्थापित कर लिया गया. गयू गांव आप शिमला और मनाली दोनों जगहों से जा सकते हैं.