राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि प्रदेश को क्षय रोग मुक्त बनाने के अभियान में प्रत्येक व्यक्ति को अपनी सहभागिता सुनिश्चित करनी चाहिए. ताकि वर्ष 2023 तक इस लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके.
उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य को प्राप्त कर हिमाचल देश का पहला आदर्श राज्य बनकर उभर सकता है, जो हम सभी के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी.
राज्यपाल आज राज्य स्वास्थ्य प्रशिक्षण केन्द्र, शिमला में हिमाचल प्रदेश के सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों, वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारियों और खण्ड चिकित्सा अधिकारियों के लिए आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 9 सितंबर, 2022 को क्षय मुक्त भारत अभियान का शुभारंभ किया था और वर्ष 2025 तक देश को क्षय मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है. उन्होंने कहा कि राज्य के स्वास्थ्य विभाग द्वारा राज्य और क्षेत्रीय स्तर पर क्षय मुक्त भारत अभियान सराहनीय तरीके से चलाया जा रहा है.
वहीं, विभाग के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार के निरन्तर प्रयासों के फलस्वरूप हिमाचल वर्ष 2023 तक क्षय मुक्त राज्य का लक्ष्य हासिल करेगा. उन्होंने कहा कि कोविड-19 टीकाकरण के मामले में देश में हिमाचल प्रदेश प्रथम स्थान प्राप्त कर चुका है.
राज्यपाल ने कहा कि यह केवल स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि इसमें प्रत्येक उन्होंने मरीजों को व्यक्तिगत रूप से अपनाने पर विशेष बल दिया. मरीजों को व्यक्तिगत रूप से अपनाने से उनके स्वास्थ्य में शीघ्र सुधार होता है और उन्हें ज्यादा मदद मिलती है.
उपचार के दौरान सभी रोगियों को निःक्षय मित्र के माध्यम से सामुदायिक सहायता प्रदान करने की आवश्यकता है. कॉर्पाेरेट, व्यक्तिगत, राजनेता, गैर सरकारी संगठन, नागरिक, समाज और अन्य लोग निःक्षय मित्र की भूमिका निभा सकते हैं. सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों और क्षेत्रीय अधिकारियों को इसकी बारीकी से निगरानी करने और यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि पंजीकरण के तुरंत बाद सभी टीबी रोगियों को सामुदायिक सहायता प्राप्त हो.
वह स्वयं इस अभियान में शामिल हैं और रेडक्रॉस जैसी संस्थाओं को जोड़कर इस कार्य में तेजी लाई जा सकती है. प्रधानमंत्री क्षय मुक्त भारत अभियान के माध्यम से मरीजों की पहचान करने पर बल दिया. क्षय रोगियों को अपनाने की जिम्मेदारी किसी एक विशेष वर्ग की नहीं बल्कि यह एक सामाजिक जिम्मेदारी है. इस दिशा में जागरूकता बढ़ाने पर भी बल दिया.
राष्ट्रीय कुष्ठ नियंत्रण कार्यक्रम (एनएलसीपी) की समीक्षा करते हुए राज्यपाल ने कहा कि कार्यक्रम का प्राथमिक लक्ष्य कुष्ठ रोग के मामलों का प्रारंभिक चरण में पता लगाना और रोगियों को अपंगता से बचाने के लिए उन्हें शीघ्र निःशुल्क उपचार की सुविधा उपलब्ध करवाना है. उन्होंने कहा कि प्रारम्भिक चरण में रोग की जांच से सामुदायिक स्तर तक बीमारी को फैलने से रोका जा सकता है.
यदि उपचार का कोर्स पूरा कर लिया जाए तो कुष्ठ रोग पूरी तरह से ठीक हो सकता है. राज्य में 141 कुष्ठ रोगियों का इलाज चल रहा है और ये मरीज आसानी से ठीक हो सकते हैं.
इससे पहले, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मिशन निदेशक हेम राज बैरवा ने राज्यपाल का स्वागत किया और राज्य में प्रधानमंत्री क्षय मुक्त भारत अभियान के तहत की जा रही विभिन्न गतिविधियों की विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने राज्यपाल को विभागीय स्तर पर किए जा रहे प्रयासों की भी जानकारी दी.
निदेशक, स्वास्थ्य सेवाएं, डॉ. गोपाल बेरी ने अभियान का विवरण प्रस्तुत किया.
राज्यपाल ने सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों व वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारियों से भी चर्चा की. उन्होंने जिला स्तर पर किए जा रहे कार्यो की जानकारी दी और अपने बहुमूल्य सुझाव दिए. इस अवसर पर राज्यपाल के सचिव राजेश शर्मा, राज्य स्वास्थ्य प्रशिक्षण केन्द्र की प्रधानाचार्य डॉ. हरशरण कौर और स्वास्थ्य विभाग के अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे.