हिमाचल प्रदेश में पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा काफी गरमाया रहा. कांग्रेस पार्टी एवं आम आदमी पार्टी ने सत्ता में आते ही पुरानी पेंशन बहाली की घोषणा कर दी है. जबकि भाजपा ने पुरानी पेंशन बहाली को लेकर अपना रुख पूरी तरह साफ नहीं किया. क्योंकि भाजपा यदि हिमाचल में पेंशन बहाली करती तो देश भर में करना पड़ेगा.
प्रदेश में पुरानी पेंशन बहाली को लेकर कर्मचारी लंबे समय से आंदोलनरत रहे. पिछले करीब दो माह तक नई पेंशन बहाली स्कीम को लेकर हिमाचल में पुरानी पेंशन बहाली कर्मचारी महासंघ क्रमिक अनशन पर बैठा रहा. सरकार ने उनकी सुध नही ली. शुक्रवार को सोलन में जब प्रियंका गांधी आई तो वह मांग पर बैठे कर्मियों से भी मिली. अब प्रदेश में आदर्श चुनाव आचार संहिता लग गई है ऐसे में कर्मियों ने अपना अनशन वापिस ले लिया.
पुरानी पेंशन बहाली के लिए अनशन पर बैठे कर्मचारियों का कहना है कि उनके पास अनशन पर बैठने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है, क्योंकि जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार कई अनुरोधों के बावजूद पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने में विफल रही है.
पुरानी पेंशन योजना, जिसके तहत सरकार द्वारा पूरी पेंशन राशि दी जाती थी, एक अप्रैल 2004 से देश में बंद कर दी गई थी. नयी योजना के अनुसार, कर्मचारी अपने वेतन का 10 प्रतिशत पेंशन में योगदान करते हैं जबकि राज्य सरकार 14 प्रतिशत योगदान करती है. नेता तो अपना वेतन व पेंशन बढ़ा रहे हैं लेकिन सालों सेवा करने के बाबजूद कर्मियों को पेंशन नही दी जा रही है. चुनाव से पहले सरकार ने पेंशन बहाली नही की है इसलिए वह चुनाव में भाजपा का साथ नही देंगे.
प्रदेश में कुल अढ़ाई लाख कर्मचारी विभिन्न विभागों में कार्यरत हैं. जिनमें से एक लाख तीस हज़ार कर्मचारी NPS के तहत आते हैं ये कर्मचारी लगातार पुरानी पेंशन बहाली की मांग कर रहे हैं. लेकिन हिमाचल सरकार की खराब आर्थिक स्थिति OPS बहाली की राह में सबसे बड़ा रोड़ा है. क्योंकि 70 हज़ार करोड़ के कर्ज तले दबी जय राम सरकार को कर्मचारियों के वेतन के लिए भी कर्ज उठाना पड़ रहा है.
ऐसे में केंद्र से हरी झंडी के बगैर फिलहाल OPS की बहाली के मूढ़ में नही दिखी. केंद्र की अटल सरकार ने NPS लाया था लेकिन हिमाचल में इसे वीरभद्र सिंह की कांग्रेस सरकार ने लागू किया था. इसलिए जब भी ops की बात आती है तो दोनों मुख्य दल एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ते हैं.
हिमाचल में वर्तमान में पेंशन का भुगतान करने के लिए वार्षिक 7500 करोड़ रुपये खर्च होते हैं. यदि सरकार ने पुरानी पेंशन बहाल की तो 2030 में सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों के लिए पेंशन पर होने वाला खर्च 25 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है. 2004 में OPS लागू होने के बाद डेढ़ लाख कर्मी सरकारी विभागों में भर्ती हुए.
हिमाचल में 30 हजार से ज्यादा आउटसोर्स कर्मचारी है यानी ठेके पर रखे गए हैं. जिनके लिए सरकार ने अभी नीति नही बनाई है. हाँ दो दिन पहले हुई कैबिनेट की बैठक में इन कर्मियों को नोकरी से न निकालने का निर्णय जरूर लिया गया. लेकिन इससे आउटसोर्स कर्मचारी खुश नही है.हिमाचल प्रदेश में पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा बहुत बड़ा चुनावी मुद्दा बन गया है.
कांग्रेस पार्टी ने सरकार बनते ही दस दिनों के भीतर OPS बहाली का वायदा किया है. कांग्रेस राष्ट्रीय प्रवक्ता व हिमाचल मीडिया प्रभारी अलका लाम्बा का कहना है की भाजपा सरकार ने फजूल खर्ची व भ्रष्टाचार किया उस पैसे को कांग्रेस पेंशन पर खर्च करेगी.
आम आदमी पार्टी ने भी हिमाचल में ops को मुद्दा बनाया है. आप के हिमाचल अध्यक्ष सुरजीत ठाकुर का कहना है की आप की सरकार बनने के एक माह में OPS लागू की जायेगी. पंजाब में OPS का ड्राफ्ट तैयार है जल्द पंजाब में ops लागू की जायेगी.
भाजपा सरकार में शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा की कांग्रेस कोरी घोषणाएं कर रही है. अनाप सनाप गारंटी दी जा रही है. अभी तक तो कांग्रेस अपने राज्यों राजेस्थान व छतीसगढ़ तक में ops लागू नही कर पाए हैं. डबल इंजन की सरकार है तभी हिमाचल में काम होगा और ops बहाली होगी तो भी मोजुदा सरकार ही करेगी. हिमाचल में वीरभद्र सरकार ने ops लागू की थी.
उधर कर्मचारी नेता मनोज का कहना है की बड़े संघर्ष के बाद सरकारी नोकरी लगती है. सरकार के लिए काम करने के बाबजूद पेंशन नही मिल रही है. जबकि माननीय को पेंशन मिल रही है. कर्मचारी चुनाव में उसी पार्टी का साथ देंगे जो ops के समर्थन में है.
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