Public toilet fee decision reversed: शिमला शहर में 30 सार्वजनिक शौचालय में यूरिनल शुल्क वसूलने के फैसले पर नगर निगम ने यू टर्न ले लिया है। मीडिया से बातचीत में नगर निगम महापौर सुरेंद्र चौहान ने कहा कि नगर निगम शहर में ऐसा कोई शुल्क नहीं वसूलने जा रहा है। कहा कि भविष्य में भी निगम का ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है।
हिमाचल प्रदेश में हाल ही में सार्वजनिक शौचालयों में शुल्क वसूली का मुद्दा चर्चा का विषय बन गया था। नगर निगम की मासिक बैठक में इस प्रस्ताव पर चर्चा हुई, और शुल्क वसूली का निर्णय लिया गया था। लेकिन विरोध के बाद अब नगर निगम ने इस निर्णय को वापस ले लिया है।
मंगलवार को नगर निगम के महापौर सुरेंद्र चौहान ने प्रेस वार्ता के दौरान स्पष्ट किया कि सार्वजनिक शौचालयों में किसी भी व्यक्ति से शुल्क नहीं लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि महिलाओं से पहले भी कोई शुल्क नहीं लिया जाता था, और अब पुरुषों से भी कोई शुल्क नहीं वसूला जाएगा।
महापौर ने जानकारी दी कि शहर के सार्वजनिक शौचालयों का रखरखाव सुलभ इंटरनेशनल द्वारा किया जाता है, और नगर निगम इसके लिए हर माह 2.44 लाख रुपये का भुगतान करता है। सुलभ इंटरनेशनल ने शुल्क वसूली को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की है, लेकिन नगर निगम अपनी ओर से कोर्ट में यह पक्ष रखेगा कि सार्वजनिक शौचालयों में किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाए।
महापौर ने बताया कि नगर निगम को सार्वजनिक शौचालयों से होने वाली आय का कोई हिस्सा नहीं मिलता। यह पूरी तरह सुलभ इंटरनेशनल के अधीन है। उन्होंने यह भी कहा कि नगर निगम सालाना टेंडर प्रक्रिया के तहत शौचालयों के रखरखाव का जिम्मा सौंपता है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि मासिक बैठक में इस मुद्दे पर केवल चर्चा हुई थी, लेकिन नगर निगम की मंशा कभी भी शहरवासियों से शुल्क वसूलने की नहीं रही।
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