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‘रंगोत्सव मंडी 2025’ में पारंपरिक और आधुनिक रंगों का अद्भुत संगम देखने को मिला
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माधव राय की पालकी निकली, शहर में परिक्रमा के दौरान गुलाल उड़ाया गया
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सुरक्षा व्यवस्था कड़ी, पुलिस प्रशासन ने हुड़दंग रोकने के लिए पुख्ता इंतजाम किए
Mandi Holi Festival: हिमाचल प्रदेश की छोटी काशी मंडी में शनिवार को ‘रंगोत्सव मंडी 2025’ के रूप में होली का भव्य आयोजन किया गया। इस दौरान पारंपरिक और आधुनिक रंगों का अनूठा संगम देखने को मिला। सेरी चाणणी मैदान में डीजे की धुनों पर युवाओं ने जोश और उल्लास के साथ नृत्य किया, वहीं परंपरागत अबीर-गुलाल उड़ाकर रंगों का त्योहार मनाया गया।
दोपहर में माधव राय की पालकी निकाली गई, जिसने पूरे शहर की परिक्रमा की। इस दौरान श्रद्धालुओं ने गुलाल उड़ाकर उल्लास व्यक्त किया। माना जाता है कि राजशाही काल में राजा अपने दरबारियों के साथ होली खेलते थे और प्रजा के बीच आकर इस पर्व में शामिल होते थे। यह परंपरा आज भी निभाई जा रही है।
रंगोत्सव के दौरान किसी भी प्रकार की अव्यवस्था रोकने के लिए पुलिस प्रशासन ने कड़े बंदोबस्त किए। चौहटा से विक्टोरिया तक यातायात को वन-वे किया गया। सादी वर्दी और ड्यूटी वर्दी में पुलिसकर्मी तैनात रहे। बाइक पर हुड़दंग करने वालों पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी गई।
मंडी की होली में प्राकृतिक रंगों का प्रयोग किया जाता है। चीड़ और देवदार से निकलने वाले पीले पदार्थ (पठावा) से देवताओं को तिलक किया जाता है। इस अवसर पर गांव की महिलाएं चावल के आटे से बना पकवान ‘चिलहड़ू’ तैयार करती हैं, जिसे दूध और घी के साथ खाया जाता है।
मंडी में हर साल होली एक दिन पहले मनाने की परंपरा है। इसे देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने अवकाश घोषित किया, ताकि सभी लोग इस पर्व को पूरे हर्षोल्लास के साथ मना सकें।