हिमाचल

अपने बच्चों को हिमाचलियत से जोड़ना हमारी असली पूंजी: आरएस बाली

  • मुंबई में हिमाचल मित्र मंडल का 73वां स्थापना दिवस समारोह आयोजित, जिसमें हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष आरएस बाली ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की।
  • आरएस बाली ने हिमाचल की संस्कृति, परंपरा, और हिमाचलियत की अनोखी पहचान को बनाए रखने पर जोर दिया और कहा कि हिमाचली समाज देश-विदेश में हिमाचल का गौरव बढ़ा रहा है।
  • बाली ने हिमाचल के वीरों और देवभूमि की महत्ता का उल्लेख करते हुए हिमाचल के पर्यटन विकास में हिमाचल मित्र मंडल जैसे मंचों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया।

Himachal Mitra Mandal Foundation Day: हिमाचल मित्र मंडल का 73वां स्थापना दिवस समारोह मुंबई में पूरे जोश और उल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री रैंक धारक आरएस बाली ने मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। हिमाचल मित्र मंडल के इस आयोजन में महाराष्ट्र में बसे सैकड़ों हिमाचली परिवारों ने भाग लिया और अपनी मिट्टी से जुड़े रहने का अहसास करवाया।

उन्‍होंने कहा कि यहां हम किस अपने अंदर हिमाचलियत को लेकर आगे बढ़ रहे हैं, ये जान के बहुत खुशी महसूस हुई। बड़े पुराने लेख हैं और एक बिहारी कवि ने कहा है कि यह माटी नहीं, यह सोना है, यह हमर बिछौना है। मतलब यह मिट्टी नहीं है, यह हिमाचल नहीं है। यह सोना है और यह मेरी ज़िन्दगी है।इसमें हिस्से में निकला हूँ। इसी में मैं जाके बस जाऊंगा, इसमें मेरा कण कण बसता है। इसमें हर क्षण में बसता हूँ, मेरी ज़िन्दगी की धरोहर, मेरी संस्कृति, मेरी सभ्यता, मेरे जीवन का लक्ष्य हिमाचल से शुरू हो के हिमाचल पे ही जाके खत्म होता है।

आरएस बाली ने अपने संबोधन में कहा कि हिमाचल मित्र मंडल जैसे मंच न केवल हिमाचलियों को एकजुट रखने का काम करते हैं, बल्कि हिमाचल की संस्कृति और सभ्यता का अन्य प्रदेशों में भी संचार करते हैं। उन्होंने हिमाचल के सभी हिमाचलियों का आभार व्यक्त किया कि वे अपनी जड़ों से जुड़े रहते हुए हिमाचल की संस्कृति और मूल्य प्रणालियों को बरकरार रख रहे हैं।

उन्होंने आगे कहा, “मैं यहाँ पर जितने भी हिमाचली माता-पिता, भाई-बहन और बच्चे बैठे हैं, उन सभी को हिमाचल की ओर से नमन करता हूँ। हिमाचल का हर व्यक्ति अपनी मिट्टी से जुड़ा है और हिमाचल की खुशबू उनके जीवन में गहराई से बसी है। हमारी संस्कृति और सभ्यता हमारी सबसे बड़ी धरोहर है और हमें इसे आगे बढ़ाना है।”

बाली ने अपने पिता, स्वर्गीय जीएस बाली का स्मरण करते हुए उनके हिमाचल के प्रति योगदान और समाज सेवा की भावना को भी याद किया। उन्होंने कहा कि उनके पिता ने जो आदर्श स्थापित किए हैं, उन्हीं से प्रेरणा लेकर वह हिमाचल के विकास और पर्यटन के उत्थान के लिए समर्पित हैं।

कार्यक्रम के दौरान बाली ने हिमाचल के वीर सपूतों और शहीदों को भी नमन किया और कहा, “हम हिमाचल के लोग उस वीरभूमि से आते हैं जिसने देश के लिए अपने हजारों बेटे कुर्बान किए हैं। हिमाचल का पहला परमवीर चक्र विजेता और देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले अनेक वीर इसी धरती से जन्मे हैं। यह देवभूमि है, और यहाँ की मिट्टी हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है।”

आरएस बाली ने मुंबई में बसे हिमाचलियों से कहा कि वे अपने बच्चों को भी हिमाचलियत से जोड़ने का प्रयास करें। उन्होंने हिमाचल की माटी को सोने के समान बताते हुए कहा कि हिमाचल की संस्कृति और हिमाचलियत को बनाए रखने का कार्य हिमाचल मित्र मंडल द्वारा उत्कृष्ट रूप से किया जा रहा है।

समारोह में हिमाचल की संस्कृति और पारंपरिक नृत्य एवं संगीत का भी प्रदर्शन किया गया, जिसने सभी का मन मोह लिया। आरएस बाली ने मंडल के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि हिमाचल मित्र मंडल ने मुंबई में हिमाचली समाज को एक साथ जोड़े रखा है और यह मंच हिमाचल की संस्कृति के संवर्धन और संरक्षण में अहम भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि हिमाचल की खुशबू, संस्कृति, और सभ्यता मुंबई में बसे हर हिमाचली के दिल में बसती है और यही हमारी सबसे बड़ी पूंजी है।

आरएस बाली ने हिमाचल के पर्यटन को बढ़ावा देने के प्रयासों पर भी चर्चा की और कहा कि हिमाचल मित्र मंडल जैसे मंच पर्यटन विकास में सहयोग कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि जब अगली बार वह यहाँ आएंगे तो टूरिज्म के साथ मिलकर इस तरह के कार्यक्रमों को और व्यापक रूप देने का प्रयास करेंगे।

समारोह के अंत में आरएस बाली ने हिमाचल मित्र मंडल के सभी पदाधिकारियों का आभार प्रकट किया और हिमाचल की सांस्कृतिक धरोहर को संजोए रखने के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि हिमाचल मित्र मंडल न केवल सांस्कृतिक आदान-प्रदान का मंच है, बल्कि यह हमें हमारी जड़ों से जोड़े रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

Akhilesh Mahajan

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