<p>जुन्गा के समीप 22 देवता के स्थान के नाम से प्रसिद्ध ठूंड में देव जुन्गा (देवचंद) के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार करके पहाड़ी शैली का भव्य मंदिर निर्मित किया जाएगा ताकि यह मंदिर धार्मिक पर्यटक स्थल के रूप में अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर अपनी अलग पहचान बन सके और श्रद्धालुओं के अतिरिक्त पर्यटक देश-विदेश से यहां आकर प्रकृति की अनुपम छटा का आन्नद ले सके । यह जानकारी देव जुन्गा मंदिर निर्माण समिति के प्रधान प्रेम चंद ठाकुर ने सोमवार को ठूंड में मंदिर के जीर्णोद्धार को लेकर आयोजित एक बैठक की अध्यक्षता करते हुए दी । इस मौके पर देव जुन्गा के प्रमुख पुजारी एवं गुर नंदलाल विशेष रूप से उपस्थित रहे, जिन्होने मंदिर निर्माण से संबधित देव-विधान बारे जानकारी दी । प्रेम चंद ने बताया कि धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से विकसित होने पर जो पर्यटक चायल, कूफरी, सिलोनबाग आते है, वह इस स्थल का अवश्य भ्रमण करेगें जिससे स्थानीय लोगों को स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध होगें ।</p>
<p>समिति के महासचिव कृष्ण सिंह रोहाल ने कहा कि कालांतर से ठंूड गांव 22 देवता के स्थान के नाम से प्रसिद्ध है । देव जुन्गा देवचंद की मान्यता क्योंथल रियासत के अतिरिक्त जिला शिमला, सोलन और सिरमौर के विभिन्न क्षेत्रों में पाई जाती है और देव जुन्गा को 22 खेल अर्थात गोत्र के लोग अपना कुल देवता मानते हैं । लोग हर वर्ष विशेषकर प्रबोधिनी एकादशी, जिसे स्थानीय भाषा में देवठन कहते हैं, के पावन पर्व पर देवता के दर्शन के लिए आते हैं । उनका कहना है कि देवता द्वारा अपनी प्रजा को दुखः दर्द मिटाने के लिए सभी क्षेत्रों का दौरा भी किया जाता है ।</p>
<p>उन्होने बताया कि देवता का मंदिर काफी पुराना हो चुका है जिस कारण इसका जीर्णोद्धार किया जाना आवश्यक है । उन्होने बताया कि मंदिर के निर्माण के लिए लोगों द्वारा स्वैच्छा और उदारता से दान दिया जा रहा है । उन्होने बताया कि मंदिर के साथ सबसे पहले एक सरांय का निर्माण किया जाएगा ताकि मंदिर के निर्माण के दौरान देवता के ठहरने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जा सके । उन्होने कहा कि सरांय निर्माण हेतू धनराशि उपलब्ध करवाने के लिए मामला सरकार के साथ उठाया जाएगा । उन्होने बताया कि इस मंदिर से दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं जिनके ठहरने के लिए सराय में सभी सुविधाऐं उपलब्ध करवाई जाएगी।</p>
<p>उप प्रधान मनोहर सिंह ठाकुर और सदस्य प्रीतम ठाकुर ने बताया कि जनश्रुति के अनुसार देव जुन्गा का प्रादुर्भाव जुन्गा रियायत के राजपरिवार से जुड़ा हुआ है और विशेष पर्व पर प्राचीन जुन्गा रियासत के राज परिवार के सदस्य मंदिर में आकर पूजा अर्चना करते हैं । देवठण और दसूणी के अवसर पर पूरे क्षेत्र के देवता देवचंद, पंजाल के कुंथली देवता, धार के मनूणी देवता, भनोग के जुन्गा देवता सहित 22 देवता ठूंड में एकत्रित होते है जहां पर लोग मनौती पूर्ण होने पर देवता को भेंट अर्पित करते हैं । उन्होने बताया कि देव जुन्गा के कलैणे में कनोगू, रोहाल, शलोंठी, भौंठी, टकराल, छिब्बर, बलीर, सराजी सहित 22 क्षेत्र, जिसे गोत्र कहते हैं, के लोग आकर परंपरा को निभाते हैं ।</p>
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