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शिमला के एसपी पर हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणी के बाद डीजीपी ने निलंबन की सिफारिश की
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प्रेस कॉन्फ्रेंस में संवैधानिक पदाधिकारियों और NSG पर लगाए थे गंभीर आरोप
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AIS (Conduct) Rules और HP Police Act के उल्लंघन के चलते अनुशासनात्मक कार्रवाई की तैयारी
HimachalPolitics: विमल नेगी केस में हिमाचल प्रदेश पुलिस विभाग में प्रशासनिक भूचाल जारी है। अब राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) डॉ. अतुल वर्मा ने शिमला के पुलिस अधीक्षक (एसपी) के खिलाफ तत्काल निलंबन और विभागीय जांच की सिफारिश की है। यह सिफारिश 24 मई 2025 को गोपनीय नोट के माध्यम से अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) को भेजी गई, जिसमें एसपी शिमला के व्यवहार को “गंभीर अनुशासनहीनता, आदेश की अवहेलना और कर्तव्य में लापरवाही” की श्रेणी में रखा गया है। एसपी और डीजीपी की तनातनी के बीच अब खुद मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू आ चुके हैं।सोमवार को मुख्यमंत्री सुक्खू की राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल से मुलाकात प्रस्तावित है, जिसमें इस पूरे विवाद और इससे जुड़े प्रशासनिक पहलुओं पर चर्चा की संभावना जताई जा रही है। सूत्रों के अनुसार, सुक्खू इस मामले में कड़ा और निर्णायक रुख अपना सकते हैं, क्योंकि मामला केवल दो अफसरों की व्यक्तिगत लड़ाई नहीं, बल्कि राज्य सरकार की छवि और व्यवस्था की साख से जुड़ गया है।
यह है मामला
सभी घटनाओं की शुरुआत 23 मई 2025 को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा CWP नंबर 6508/2025 – किरण नेगी बनाम राज्य सरकार व अन्य में दिए गए एक फैसले से हुई, जिसमें एसपी शिमला की कार्यप्रणाली पर तीखी टिप्पणी की गई। न्यायालय ने उनके रवैये को न केवल “अप्रशासकीय” बताया, बल्कि “जनहित के खिलाफ” भी माना। फैसले की प्रति भी डीजीपी के पत्र के साथ संलग्न की गई है।
प्रेस वार्ता बनी विवाद का केंद्र
24 मई को एसपी शिमला द्वारा आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस ने मामले को और गंभीर बना दिया। इस दौरान एसपी ने राज्य के मुख्य सचिव और एक संवैधानिक पदाधिकारी के खिलाफ बिना प्रमाण के गंभीर आरोप लगाए। यही नहीं, उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) को लेकर भी अनुचित और भ्रामक बयान दिया, जो कि एक सक्रिय जांचाधीन मामले से जुड़ा हुआ था।
डीजीपी के अनुसार, ये बयान न केवल सेवा आचरण नियमों का उल्लंघन हैं, बल्कि इससे केंद्र और राज्य सरकारों के बीच के संबंधों को नुकसान पहुंच सकता है। प्रेस वार्ता का वीडियो भी एक पेन ड्राइव और सोशल मीडिया लिंक के माध्यम से रिपोर्ट के साथ भेजा गया है।
AIS Conduct Rules और HP Police Act का उल्लंघन
डीजीपी ने अपने पत्र में विशेष रूप से AIS (Conduct) Rules, 1968 और हिमाचल प्रदेश पुलिस अधिनियम, 2007 का उल्लेख किया है। उन्होंने बताया कि एसपी ने:
सेवा की शुचिता और ईमानदारी बनाए रखने में विफलता दिखाई
कर्तव्य के प्रति समर्पण नहीं दिखाया
ऐसे सार्वजनिक वक्तव्य दिए जो किसी सरकारी नीति की आलोचना करते हैं और प्रशासन को शर्मिंदा करते हैं
इन नियमों के तहत सरकारी अधिकारी को मीडिया या सार्वजनिक मंच पर सरकार की आलोचना करने की मनाही है, और ऐसे बयान जो केंद्र-राज्य संबंधों को प्रभावित करें, पूरी तरह प्रतिबंधित हैं।
CBI जांच भी जारी
इसके अतिरिक्त, डीजीपी ने पत्र में यह भी उल्लेख किया है कि एसपी शिमला के खिलाफ पहले से ही एक गंभीर आपराधिक मामला दर्ज है, जो FIR नंबर 09/2025 दिनांक 19 मार्च 2025, पुलिस थाना न्यू शिमला में दर्ज हुआ है। यह मामला भारतीय न्याय संहिता की धारा 108, उपधारा 3(5) के अंतर्गत आता है, और CBI द्वारा जांचाधीन है।
डीजीपी वर्मा ने सिफारिश की है कि:
एसपी शिमला को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाए
उन्हें पुलिस मुख्यालय रिपोर्ट करने को कहा जाए
उनके खिलाफ विस्तृत विभागीय जांच शुरू की जाए
उन्होंने यह भी कहा है कि इस मामले में तत्काल प्रशासनिक निर्णय की आवश्यकता है, ताकि पुलिस बल में अनुशासन और विश्वास की पुनर्स्थापना की जा सके।



